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New Delhi. राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर आए दिन स्टाफ और वाहन मालिकों के बीच विवाद और मारपीट के मामले सामने आते रहते हैं। इस दौरान कई बार तोड़फोड़ भी हो जाती है। इस पर अंकुश लगाने और इन स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एक एसओपी जारी की है, जिसका उद्देश्य आम लोगों के साथ ही टोल आपरेटरों के हितों की रक्षा करना है। एनएचएआई ने ‘काम’ नाम से एक विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत एनएचएआई पेशेवर मनोवैज्ञानिकों के साथ मिलकर टोलकर्मियों को गुस्से पर नियंत्रण तथा ग्राहकों की सुविधा का ध्यान रखने के लिए ट्रेनिंग करा रहा है। पहली ट्रेनिंग मुरथल टोल प्लाजा (हरियाणा) में दी गई है। अब मप्र समेत कई राज्यों में इसकी शुरुआत होने वाली है। एसओपी में एनएचएआई के फील्ड अफसरों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश हैं।
लेन सुपरवाइजर बाडी कैमरा पहनेंगे
एसओपी के अनुसार, एनएचएआइ के फील्ड अफसर यह सुनिश्चित करेंगे कि टोल संग्रह करने वाली एजेंसी दिशा-निर्देशों के तहत अपनी ड्यूटी करें। टोलकर्मी तय यूनिफार्म और नाम वाला बैज पहनेंगे। अगर टोल पर विवाद की नौबत आती है तो टोल प्लाजा मैनेजर या लेन सुपरवाइजर उसे हल करने की कोशिश करेंगे। लेन सुपरवाइजर बॉडी कैमरा पहनेंगे, जिससे हिंसा की पूरी घटना रिकॉर्ड हो सके।
ऐसे होगा विवाद का निपटारा
अगर कोई वाहन सवार मनमाना व्यवहार करता है तो लेन सुपरवाइजर विवाद हल करेंगे। किसी भी हालत में टोल प्लाजा का स्टॉफ उकसावे वाली भाषा या हिंसा का सहारा नहीं ले सकता। टोल प्लाजा के कर्मी पुलिस से मदद ले भी सकते हैं और अगर मामला शांत नहीं होता है तो वे एफआईआर करा सकते हैं। अगर वाहन सवार मारपीट करता है या फिर टोल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो टोलकर्मी तुरंत स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना देंगे। वे वाहन सवार से कोई हाथापाई नहीं कर सकेंगे।
टोल के सभी कर्मियों का पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी
एनएचएआइ के फील्ड अफसरों की जिम्मेदारी होगी कि वे टोल के सभी कर्मियों को पुलिस वेरीफिकेशन कराए। इसके साथ ही टोल संग्रह करने वाली एजेंसी से यह भी कहा गया है कि वे हर महीने विवाद, टकराव, मारपीय या हिंसा के किसी भी मामले की रिपोर्ट एनएचएआइ के परियोजना क्रियान्वनय इकाई को सौंपेगी।