सुख ही नहीं कभी कभी दु:ख और कष्ट भी मजबूत करती है रिलेशनशिप

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Pooja Kumari
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सुख ही नहीं कभी कभी दु:ख और कष्ट भी मजबूत करती है रिलेशनशिप

BHOPAL. सुख ही नहीं कभी-कभी दु:ख और कष्ट भी मजबूत करती है रिलेशनशिप। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताने वाले हैं। पूजा चौधरी, उन्होंने बताया कि अगर आज से दो महीने पहले आपको अपनी बात बता रही होती तो शायद मेरा मैरिटल स्टेटस अलग होता। लेकिन आज मामला पूरी तरह से बदल गया है। मैंने अपने एक्स पति, विनय से दोबारा शादी कर ली है और एक बार फिर से उनकी पत्नी बनकर खुश हूं।

अपने एक्स पति से रचाई शादी

वो बताती हैं कि उनका और उनके पति का तलाक हो गया था। शादी के एक साल के अंदर ही हम दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए थे। तकरीबन 11 साल पहले हम दोनों ने पहली बार शादी की थी। 2018 में कानूनन अलग हो गए। अब बीते महीने फिर से हम दोनों ने एक-दूसरे से शादी की है। वर्तमान में हम दोनों गाजियाबाद में रहते हैं, लेकिन मूल रूप से मैं बिहार की राजधानी पटना और पति विनय जायसवाल उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं।

2012 में हुई थी दोनों की शादी

पूजा ने बताया कि साल 2012 में उनके फैमिली ने एक मेट्रोमोनियल साइट्स पर उनका प्रोफाइल बनाया था। उसी प्रोफाइल पर विनय का मेरे पास रिक्वेस्ट आया। विनय चाहते थे कि उनके नेचर, कल्चर, वर्क के मुताबिक उनकी पार्टनर मिले। इसके एगा उन्होंने बताया कि जब हम दोनों की शादी की बातचीत शुरू हुई, उसके बाद हम दोनों की शादी बनारस में ही हुई। तब विनय स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में थे। अभी भी वहीं काम करते हैं। तकरीबन 10-15 दिनों तक ससुराल में रहने के बाद हम दोनों गाजियाबाद आ गए। अकेले रहने के बाद ही हम दोनों के बीच समस्या शुरू हुई। छोटी-छोटी बातों को लेकर मन-मुटाव होने लगा।

2013 में लिया डिवोर्स का फैसला

हम दोनों की सिर्फ कास्ट ही एक थी। मूलत: तो अलग-अलग स्टेट, लोकेशन और कल्चर से आते हैं। शुरुआत में यही हम दोनों के बीच सबसे बड़ी दिक्कत थी। धीरे-धीरे चीजें बनने के बदले बिगड़ती चली गईं। बड़ी मुश्किल से हमारी शादी को 6 महीने ही हुए होंगे कि हम दोनों के ही दिमाग में ये बात फिट हो चुकी थी कि अब साथ नहीं रहना। हालांकि ये अच्छी चीजें रहीं कि हमारे बीच कभी गाली-गलौज, मार-पिटाई जैसी बातें नहीं हुईं, जैसा अमूमन दूसरों के रिश्तों में देखा जाता है। जब हमें लगा कि साथ नहीं रह सकते हैं। मेरे और विनय दोनों के विचार अलग-अलग हैं, इस वजह से एडजस्ट करना मुश्किल है, तब हम दोनों ने 2013 में डिवोर्स लेने का फैसला कर लिया।

2018 में हुई थी कानूनन तलाक

आज लगता है कि अलग होने की जगह हमें एक-दूसरे को समझने के लिए वक्त देना चाहिए था। अपने अनुभव से कह रही हूं कि शादी जैसे रिश्ते के लिए एक साल एक दिन के बराबर है। जिस तरह से हम अपने मां-बाप को नहीं बदल सकते हैं। भाई-बहन को नहीं बदल सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होता। उसी तरह से जब हम अपने पार्टनर को लेकर ऑप्शन देखना बंद कर देंगे, तब ही हमें अपने पार्टनर में अच्छाई दिखेगी। खैर, जब हम दोनों के बीच ये फाइनल हो गया कि अब अंतिम ऑप्शन तलाक ही है, तो आपसी सहमति से मैं पटना अपनी फैमिली के साथ रहने लगी। उस समय अपनी जॉब की वजह से विनय गाजियाबाद में ही रहते थे। इस तरह 2018 में हम दोनों ने एक-दूसरे से तलाक ले लिया।

फोन पर होती थी बातचीत

पूजा ने बताया कि हम दोनों के बीच एकाध बार ऑन कॉल हाय-हैलो भी हो जाता था, लेकिन कभी लग नहीं रहा था कि हम एक बार फिर से साथ आ जाएंगे। विनय का तो पता नहीं, लेकिन मेरे घर पर दूसरी शादी को लेकर बातचीत चलनी शुरू हो गई थी। लेकिन मैं अपनी दूसरी शादी को लेकर खुश नहीं थी। तलाक के बाद घर बैठना मुश्किल हो रहा था, इसलिए BBA, MBA के बाद मैंने बीएड, एमएड करके पढ़ाना शुरू कर दिया। एक दिन मैंने विनय को फोन किया तो फोन उनके घरवालों ने उठाया और बताया कि विनय को हार्ट अटैक आ गया है, जिसकी वजह से बाइपास सर्जरी होनी है। मैं घबरा गई। फिर मैंने ये बात अपने घरवालों को बताई तो उनका कहना था कि अब तो हमारा कोई रिश्ता रहा नहीं। तुम्हारे एक्स-हसबैंड हैं। जाकर क्या करोगी। अगर जाओगी तो हम लोग भी साथ में चलेंगे।

23 नवंबर को हमने दोबारा शादी की

पूजा ने अपने घरवालों को समझाया और फिर गाजियाबाद के लिए निकल गई। उस समय विनय आईसीयू में थे और मैं उनके सामने खड़ी थी। बस एक प्रेम था, मैं नि:स्वार्थ भाव से विनय की केयर करने लगी। आप समझ सकते हैं कि उस वक्त मेरी मानसिक स्थिति क्या रही होगी। एक तरफ घरवालों को भी समझाना है। दूसरी तरफ विनय का भी ध्यान रखना है और सबसे बड़ी बात कि खुद का भी ध्यान रखना है। जहां सारे रिश्ते-नाते खत्म हो चुके थे, वहां मैं थी। तकरीबन दो-ढाई महीने मैंने विनय की देखभाल की। जितना मुझसे बन पाया, मैंने किया। फिर हमने साथ में रहने का फैसला लिया। विनय ने अपनी बातें बताईं। कहते हैं न प्यार को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं होता है। हम इशारों-इशारों में ही अपनी दिल की बात कह लेते हैं। कुछ ऐसा ही हमारे साथ अब हो रहा था। 23 नवंबर को हम दोनों ने फिर से शादी की रस्म अदा की और एक दूजे के हो गए।

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