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AHMEDABAD. गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी पुल हादसे का स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। जिन विभाग के अफसरों से जवाब मांगा गया है, उनमें गृह विभाग, शहरी गृह विभाग, मोरबी नगरपालिका और राज्य मानवाधिकार आयोग शामिल हैं। गौरतलब है कि मोरबी में ब्रिटिश राज में बना सस्पेंशन ब्रिज 30 अक्तूबर को टूट कर गिर गया था। इस हादसे में 135 लोग मारे गए थे।
14 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की एक खंडपीठ ने मुख्य सचिव के जरिए गुजरात सरकार, राज्य के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त, मोरबी नगर पालिका, जिला कलेक्टर और राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया है। मामले को 14 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने मुख्य सचिव और गृह सचिव से अगले सोमवार तक मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। राज्य के मानवाधिकार आयोग को भी 14 नवंबर तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने एक समाचार पत्र की खबर के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया है।
ओरेवा कंपनी ने किया था पुल का नवीनीकरण
वहीं गुजरात के मोरबी की अदालत ने मोरबी ब्रिज टूटने की घटना के सिलसिले में ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों सहित चार आरोपियों की पुलिस रिमांड बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले 1 नवंबर को 4 आरोपियों को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था। 5 नवंबर को पुलिस ने आरोपियों की रिमांड बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने इससे इनकार करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बता दें की 30 अक्टूबर को मोरबी में ब्रिज टूटने से बड़ा हादसा हुआ था और इसमें 135 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस पुल का नवीनीकरण ओरेवा कंपनी द्वारा किया गया था। ये पुल करीब 130 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का था।