NEW DELHI. भारत में लगातार तेज गति से वृद्धों की संख्या बढ़ती जा रही है। देश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ने का यह सिलसिला वर्ष 2010 से शुरू हुआ है। मौजूदा चलन के मुताबिक तकरीबन 15 साल में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के नागरिकों की संख्या दोगुनी हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक बीते एक दशक में देश में प्रजनन क्षमता में 20 फीसदी की गिरावट आई है। भारतीय आबादी के बुजुर्ग होने से आने वाली समस्याओं और उनके निदान व समाधान को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष व भारत इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज ने बुधवार को इंडिया एजिंग रिपोर्ट, 2023 जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनियां की आबादी बूढ़ी हो रही है। यदि वैश्विक स्तर पर बात करें तो, 2022 में 7.9 अरब की आबादी में से करीब 1.1 अरब लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे। यह कुल आबादी का, करीब 13.9 फीसदी हिस्सा है। अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर करीब 2.2 अरब (22%) के करीब पहुंच जाएगी।
इसके तीन कारणः
भारत में बुजुर्गों की तादाद बढ़ने की तीन वजह हैं- घटती प्रजनन क्षमता, मृत्यु दर में कमी और उत्तरजीविता में वृद्धि। बीते एक दशक में देश में प्रजनन क्षमता में 20 फीसदी की गिरावट आई है। 2008-10 के दौरान देश की सकल प्रजनन दर 86.1 थी, जो 2018 से 2020 के दौरान घटकर 68.7 रह गई है।
कौनसा राज्य सबसे युवाः
आंकड़ों के मुताबिक कुल आबादी में बुजुर्गों के राष्ट्रीय औसत से कम संख्या वाले 11 राज्य हैं। इनमें 7.7% बुजुर्ग आबादी के साथ बिहार देश का सबसे युवा राज्य है। 8.1% बुजुर्ग आबादी के साथ उत्तर प्रदेश दूसरा सबसे युवा राज्य है। शीर्ष पांच राज्यों में असम (8.2%) तीसरे, झारखंड (8.4%) चौथे और राजस्थान व मध्य प्रदेश (8.5%) पांचवें स्थान पर हैं। बता दें कि 60 वर्ष पार उम्र की 16.5% आबादी के साथ केरल सबसे बुजुर्ग राज्य है। वहां बुजुर्गों की उत्तरजीविता में वृद्धि व प्रजनन दर में तीव्र गिरावट हुई है। सबसे बुजुर्ग पांच राज्यों में तमिलनाडु, केरल व आंध्र प्रदेश दक्षिण से हैं, हिमाचल व पंजाब उत्तर से हैं। आंध्र (12.3%) पांचवां, पंजाब (12.6%) चौथा, हिमाचल (13.1%) तीसरा और तमिलनाडु (13.7%) दूसरा सबसे बुजुर्ग राज्य है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों की आबादी 2021 में 10.1% थी जो 2036 में 15% हो जाएगी। 2050 में बुजुर्ग आबादी 20.8% होगी। रिपोर्ट के मुताबिक निर्भरता अनुपात चिंता की बात है। फिलहाल 100 कामकाजी लोगों पर 16 वृद्ध और प्रति 100 बच्चों की तुलना में 39 बुजुर्ग हैं।
वृद्ध महिलाएं सबसे ज्यादाः
इंडिया एजिंग रिपोर्ट, 2023 में कहा गया है कि 2000 से 2022 के दौरान भारत की कुल आबादी करीब 34 फीसदी बढ़ी है, इस दौरान 60 से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या में 103 फीसदी का इजाफा हुआ है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि 2022 से 2050 के दौरान देश की कुल आबादी करीब 18 फीसदी बढ़ेगी, जबकि वृद्धों की संख्या में 134 फीसदी की वृद्धि होगी। खासतौर पर 80 से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या में 279 फीसदी की वृद्धि होगी। बता दें कि देश की वृद्ध होती आबादी के तीन पहलुओं के कारण कई सामाजिक आर्थिक चुनौतियां खड़ी होंगी। 2031 तक 60 से अधिक उम्र की आबादी में 1000 पुरुषों पर 1078 महिलाएं होंगी। दूसरा पहलू, बुजुर्ग आबादी की ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ा है। देश में 70 फीसदी आबादी ग्रामीण है। जाहिर है, जब बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी, तो गांवों में उनकी तादाद ज्यादा होगी, जहां उनके लिए आय, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी चुनौतियां होंगी। इसके अलावा तीसरा पक्ष वृद्धों की वृद्धावस्था, यानी वृद्धों में भी 80 से अधिक उम्र के वृद्धों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी, जिनकी देखभाल के लिए भारी निवेश की जरूरत होगी।
सरकार की क्या है जिम्मेदारीः
भारतीय संविधान के अनुच्छे अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता के मुताबिक बुजुर्गों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के उपाय करेगा। इसके अलावा भारत सरकार मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (एमआईपीएए), 2002 के मुताबिक जनसंख्या की वृद्धावस्था संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए नीति और कार्यक्रम तय करती आ रही है।