ओडिशा हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर आरोपों में जेल में बंद एक महिला को एक अनोखी शर्त पर जमानत दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जमानत पर रिहा होने के बाद महिला कटक स्थित ICICI बैंक (ICICI Bank) शाखा परिसर की दो महीने तक सफाई करेगी। डॉ जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि महिला को सुबह 8 बजे से 10 बजे तक बैंक परिसर में सफाई करनी होगी।
कैसे हुआ लोन फ्रॉड
आरोपित महिला ने एक पुरुष सहयोगी के साथ मिलकर भुवनेश्वर में तीन आवासीय संपत्तियों को गिरवी रखकर ICICI बैंक से कुल ₹1.05 करोड़ का लोन लिया था। यह लोन तीन किस्तों में साल 2018 में स्वीकृत हुआ था।
लेकिन लोन डिफॉल्ट (fraud) होने से पहले गिरवी रखी गई संपत्तियों में से एक को महिला के सहयोगी ने एक तीसरे व्यक्ति को बेच दिया, जिसने इस पर आपत्ति जताते हुए बैंक में शिकायत दर्ज कराई।
बाद में इसी संपत्ति को अन्य बैंक में फिर से गिरवी रखकर नया लोन लिया गया।
क्राइम ब्रांच की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने जांच शुरू की और 5 फरवरी को महिला को गिरफ्तार किया। इन धाराओं के तहत उस पर मामला दर्ज हुआ
420 – धोखाधड़ी (Cheating)
467 – जालसाजी (Forgery)
468 – धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी
471 – नकली दस्तावेज का असली के तौर पर उपयोग
120B – आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy)
कोर्ट की नई पहल
निचली अदालत ने महिला की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद आरोपी महिला ने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत देते हुए कहा- आवेदिका दो महीने तक ICICI बैंक परिसर की सुबह सफाई करेगी। इस दौरान वह कोई अपराध नहीं करेगी, सबूत नहीं मिटाएगी और न ही गवाहों को प्रभावित करेगी।
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फैसले का महत्व
यह फैसला केवल सजा नहीं, सुधार की ओर एक कदम है।
कोर्ट ने सामाजिक सेवा के जरिए अपराधबोध को सुधार में बदलने की कोशिश की है।
यह एक नया दृष्टिकोण है जो अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है।
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