New Delhi. संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि 5जी नेटवर्क का देश में काफी तेजी विस्तार हो रहा है और हर एक मिनट में एक 5जी टावर लग रहा है। पिछले साल अक्टूबर में 5जी सेवा की शुरुआत के बाद से अब तक 2.7 लाख 5जी टावर की स्थापना हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही भी भारत 5जी नेटवर्क के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
भारत 6जी एलायंस बना
देश के 99 प्रतिशत हिस्से में 4जी नेटवर्क पहुंच चुका है। सोमवार (4 जुलाई) को भारत 6जी एलायंस लॉन्च के मौके पर वैष्णव ने उम्मीद जताई कि साल 2029-30 तक भारत में 6जी सेवा की शुरुआत हो सकती है। 6जी सेवा के मामले में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए ही इनोवेटर्स, तकनीकी कंपनियां और सरकार को एक साथ लाने के लिए एलायंस की शुरुआत की गई है। उन्होंने बताया कि देश में 6जी सेवा के क्षेत्र में अब तक 200 पेटेंट को मंजूरी मिल चुकी है।
IIT मद्रास, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की संस्था में होगा 6जी का ट्रायल
2030 तक 6जी पेटेंट में भारत की हिस्सेदारी कम से कम 10 फीसद होनी चाहिए। आईआईटी मद्रास,इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था सोसायटी फॉर अप्लायड माइक्रोवेव इलेक्ट्रानिक्स इंजिनियरिंग एंड रिसर्च (समीर) में 6जी का ट्रायल किया जाएगा। दोनों ही संस्थाओं को इस काम के लिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड से सहायता राशि प्रदान की गई है।
अमेरिका और भारत भी अब एक साथ मिलकर विकसित करेंगे टेक्नोलॉजी
संचार मंत्री ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन (आईटीयू) ने 5जी व 6जी फ्रेमवर्क में भारत के योगदान को शामिल कर लिया है। अमेरिका व भारत भी अब एक साथ मिलकर टेक्नोलॉजी को विकसित करेंगे।
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नौ साल में एक जीबी डाटा की कीमत 300 से घटकर 10 रुपए
वैष्णव ने कहा कि टेलीकॉम सेक्टर में होने वाली क्रांति की वजह से नौ साल पहले एक जीबी डाटा की कीमत 300 रुपए थी जो अब 10 रुपए हो गई है। नौ साल पहले इंटरनेट यूजर्स की संख्या 25 करोड़ थी जो बढ़कर 85.9 करोड़ हो गई है। सिर्फ 5जी के क्षेत्र में 2.25 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। पिछले नौ साल में टेलीकॉम सेक्टर में 24 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाके में अब तक 1.5 लाख ब्राडबैंड कनेक्शन लगाए गए हैं।
जापान अपना सकता है भारत के डिजिटल भुगतान के तरीके
वैष्णव ने बताया कि पूरी दुनिया भारत के डिजिटल भुगतान प्रणाली की ओर देख रही है और जापान ने इस प्रणाली को अपनाने का भी फैसला कर लिया है। भारत में डिजिटल भुगतान यूपीआई (यूनिफायड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से सबसे अधिक हो रहा है, लेकिन जापान में भाषा की महत्ता की वजह से यह यूपीआई का कॉपी नहीं होगा। जापान भारत के डिजिटल भुगतान की टेक्नोलॉजी का अनुसरण करेगा।