क्या भारत में वर्ष 2029 का लोकसभा चुनाव एक देश, एक चुनाव ( One Nation-One Election ) की अवधारणा पर होगा। भारत के विधि आयोग ( Law Commission ) की मानें तो ऐसा संभव है। असल में इस मसले पर जो वह रिपोर्ट जारी करने वाला है, उसमें इस तरह का प्रावधान करने की अनुशंसा की गई है। रिपोर्ट में आयोग एक और बड़ी सिफारिश करने जा रहा है कि सरकारों की अस्थिरता, सरकार गिरने या मध्यावधि चुनाव के हालात में एक मिली- जुली अंतरिम सरकार ( unity Government ) बनाई जा सके, ताकि देश का शासन विधि-सम्मत चलता रहे।
संविधान में संशोधन की सिफारिश भी होगी
असल में केंद्र की मोदी सरकार की पहल पर रिटायर जज रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता में आयोग का एक पैनल विशेष काम कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि वह ‘एक देश-एक चुनाव’ मसले पर अपनी रिपोर्ट तो जारी करेगा ही साथ ही वह सरकार तक यह सिफारिश भी पहुंचाएगा कि केंद्र सरकार के अस्थिर होने पर किस तरह देश का शासन चलाया जाए। इसके लिए वह भारत के संविधान में संशोधन की सिफारिश भी करने जा रहा है। आयोग चाहता है कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं व स्थानीय निकाय के चुनाव भी एकसाथ निपटा लिए जाएं। माना जा रहा है कि विधि आयोग अगले सप्ताह केंद्र सरकार को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंप देगा। संभव है कि इसके बाद देश में राजनैतिक सरगर्मी तेज हो जाएं।
इस तरह से एक बार में ही होंगे सभी चुनाव
प्राप्त जानकारी के अनुसार विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2029 में लोकसभा सहित सभी चुनाव एकसाथ हों। इसके लिए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय निकायों व पंचायतों के चुनाव के लिए वोटर लिस्ट से जुड़े सभी मसले भी सुलझा लिए जाएं। उसकी सिफारिश के अनुसार इसके लिए राज्य स्तरीय चुनाव के लिए उनके कार्यकाल में बदलाव करना होगा, क्योंकि पहले दौर में सभी का कार्यकाल साल 2029 में समाप्त नहीं होगा। आयोग का मानना है कि इसके लिए विधानसभाओं का कार्यकाल कुछ महीनों के लिए कम कर दिया जाए। अगर कोई समस्या न हो इसी के साथ स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनावों को भी एडजस्ट किया जा सकता है।
यूनिटी गर्वनमेंट का गठन भी चाहता है आयोग
अपनी सिफारिश में आयोग यह भी चाहता है कि देश में किसी भी दल की सरकार बने, वह हर हाल में अपना कार्यकाल पूरा करे। इसके लिए उसने यूनिटी गवर्नमेंट की अवधारणा पर बल दिया है। आयोग का कहना है कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव या अन्य कारणों से अल्पमत में आ जाती है तो सरकार की अस्थिरता को रोकने या उसे मध्यावधि चुनाव से बचाने के लिए मिली-जुली अंतरिम सरकार का गठन किया जाए ताकि विधि सम्मत सरकार को चलाया जाए। अगर साझा या अंतरिम सरकार को फार्मूला काम न करे तो फिर बचे हुए कार्यकाल के लिए ही चुनाव कराया जाए। आयोग ने नए सिरे से चुनाव कराने पर सहमति जाहिर नहीं की है। गौरतलब है कि आयोग के अलावा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में भी एक हाईलेवल कमेटी इसी मसले पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। सूत्र बताते हैं कि इस कमेटी की रिपोर्ट में विधि आयोग की सिफारिशों को शामिल कर लिया जाएगा।