NEW DELHI. देश में यह चर्चा लंबे समय से चल रही है कि क्या देश में एक साथ ही लोकसभा-विधानसभा चुनावों (One nation-one election ) के साथ-साथ निगम या पंचायतों के चुनाव करा लिए जाएं। इसके असर के लिए केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय कमेटी ( comittee) का गठन किया है। इस कमेटी का कहना है कि अगर एक-साथ चुनाव कराए जाएंगे तो देश की आर्थिक व्यवस्था में तो सुधार (Financial improvement ) होगा ही साथ ही शिक्षा का स्तर भी बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है इस सिस्टम को अपनाने से देश में अपराधों में भी कमी आ सकती है। रिपोर्ट तैयार करने वालों का दावा है कि इसे तैयार करते वक्त आर्थिक व सामाजिक प्रभाव का आकलन किया गया है।
कोविंद की उच्चस्तरीय कमेटी ने रिपोर्ट फाइनल की
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक देश-एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। यह रिपोर्ट फाइनल हो चुकी है और उम्मीद है कि जल्द ही इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को सौंप दिया जाए। वैसे इसी मसले को लेकर विधि आयोग भी एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। संभावना जताई जा रही है कि यह रिपोर्ट भी जल्द ही सरकार तक पहुंच जाए। इस रिपोर्ट को तैयार करने में वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एनके सिंह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश (IMF) से जुड़ी रहीं प्राची मिश्रा ने भी मदद की है। उनका कहना है कि इसे तैयार करते वक्त आर्थिक व सामाजिक प्रभाव का भी आकलन किया गया है, ताकि इस बात की संपूर्ण जानकारी मिल सके कि एक देश- एक चुनाव को लागू करने से इन मोर्चों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
आर्थिक-शैक्षिक सुधार होगा, अपराध भी रुकेंगे
सूत्र बताते हैं कि इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ कराए जाएं तो देश के आर्थिक विकास में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसा होने से शिक्षा का स्तर भी बढ़ेगा यानि ज्यादा आबादी शिक्षा ग्रहण करेगी, जिससे भविष्य में बेहतर नतीजे सामने आएंगे। रिपोर्ट का मानना है कि जब चुनाव अलग अलग होते हैं तो जरूरी खर्चों के साथ बेवजह के खर्च भी बढ़ जाते हैं, इससे महंगाई के बढ़ने का अंदेशा भी पैदा हो जाता है। यह भी जगजाहिर है कि जब लगातार चुनाव होते रहते हैं तो अपराधियों को ‘काम’ मिल जाता है, जिसका नतीजा होता है कि देश में या राज्यों में अपराध बढ़ जाते हैं।
कुछ किंतु-परंतु भी हैं रिपोर्ट में
रिपोर्ट में आंकड़ों की समीक्षा कर जानकारी दी गई है कि जब देश में अलग-अलग चुनाव हुए तो उसके पहले और बाद की अवधि में देश की विकास दर में एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट का मानना है कि एक एक-साथ चुनाव करा लिए जाएं तो आर्थिक विकास में डेढ़ फीसदी का इजाफा हो सकता है। यानी महंगाई पर भी लगाम लग जाएगी। वैसे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह बढ़त-घटत संयोग हो, क्योंकि महंगाई घटने और बढ़ने के अन्य कारण हो सकते हैं और यह भी संभव है कि चुनाव के बाद सरकार ने जो कदम उठाए हों, उसके असर से यह बदलाव हुआ हो।