अगर आप भी ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो सावधान हो जाईए। देश में जैसे-जैसे डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ रहा है, उसके साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड का खतरा भी बढ़ रहा है। फर्जी ईमेल से लेकर फर्जी वेबसाइट के जरिए आपसे धोखाधड़ी की जा सकती है। आईये देखते हैं डिजिटल दुनिया के कुछ टूल्स जो ऑनलाइन फ्रॉड से आपको बचाते हैं।
ट्रांजेक्शन कन्फर्मेशन टूल से कम हो जाएंगे ऑनलाइन फ्रॉड
ट्रांजेक्शन कन्फर्मेशन टूल की मदद से व्यक्ति को तुरंत अलर्ट मिलता है जब उसके बैंक खाते से कोई असामान्य या संदिग्ध लेनदेन होता है। यह अलर्ट मिलने पर, अकाउंट होल्डर लेनदेन के लिए सहमति दे सकता है या उसे अस्वीकार कर सकता है। इससे बैंक ग्राहकों को ट्रांजैक्शन के समय डबल सुरक्षा मिलेगी।
इन बैंकों ने ली है इस टूल की मदद ICICI Bank, HDFC Bank, एचडीएफसी बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने पहले ही ऑनलाइन फ्रॉड के रोकथाम के लिए इस टूल को लागू कर दिया है। अन्य बैंकों ने भी धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकने के लिए इसी तरह की सुरक्षा सुविधा अपनाई है। ये टूल संदिग्ध लेनेदन की पहचान करता है।
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क्रेडिट इंटेलिजेंस सिस्टम टूल से होगी धोखाधड़ी की रोकथाम
क्रेडिट इंटेलिजेंस सिस्टम टूल से संदिग्ध लेनदेन होता है उसकी पहचान हो जाती है। यानी जो सामान्य लेनदेन होंगे उनसे अलग लेनदेन होने पर खाताधारक को तुरंत अलर्ट मिल जाएगा। जब खाताधारक इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि कर देता, तब तक लेनदेन की अनुमति नहीं दी जाएगी। आईसीआईसीआई बैंक यूपीआई ट्रांजेक्शन अलर्ट से जुड़ी हुई सुविधा भी देता है। जब बैंक 30,000 रुपये के यूपीआई पेमेंट ट्रांजेक्शन की पुष्टि करने के लिए ग्राहक से संपर्क नहीं कर पाएगा, तो ग्राहक को एक एसएमएस भेजा जिसमें ट्रांजेक्शन को अनब्लॉक करने के लिए विशिष्ट नंबरों पर कॉल करने का निर्देश दिया गया। ये टूल, स्थान, इंटरनेट कनेक्टिविटी, लेन-देन की समय और मूल्य जैसे डेटा का विश्लेषण करके संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी करती हैं। बैंक ने ग्राहक खातों की सुरक्षा के लिए लेनदेन की निगरानी के अलावा, लॉगिन, ग्राहक को जोड़ने और लेनदेन आरंभ करने जैसे लेनदेन के प्रत्येक प्रोसेस पर नियंत्रण लागू किया है।
जियोलोकेशन टूल से संदिग्ध गतिविधियों की पहचान
स्टैंडर्ड चार्टर्ड जीबीएस (ग्लोबल बिजनेस सर्विसेज) के निदेशक प्रदीप जनार्दनन ने कहा कि जियोलोकेशन का मतलब किसी डिवाइस या यूजर के इंटरनेट कनेक्शन या मोबाइल नेटवर्क के आधार पर उसकी लोकेशन का पता लगाना है। ग्राहक के सामान्य स्थान के साथ लेनदेन की लोकेशन की तुलना करके बैंक संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर सकते हैं। इसकी मदद से बैंक ज्ञात धोखाधड़ी वाले आईपी पतों का डेटाबेस बनाए रखते हैं और आने वाले लेनदेन के आईपी पतों से उनकी तुलना करते हैं। यदि कोई संदिग्ध आईपी पता पाया जाता है, तो लेनदेन को आगे की जांच के लिए सेलेक्ट किया जा सकता है।
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