PATNA. बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा करने पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इन पर बिहार के CM नीतीश कुमार ने आनंद मोहन का बचाव किया है। बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा था कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है, उनकी रिहाई भी जेल नियमों के मुताबिक ही हुई है। लेकिन विपक्ष बिहार के सीएम और सरकार पर निशाना साध रहा है।
जेल मैनुअल में बदलाव के बाद किया रिहा
जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के केस में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन जेल मैनुअल में बदलाव के बाद उनको रिहा कर दिया गया है।
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एक आदमी की रिहाई पर इतना हंगामा क्यों?
नीतीश ने पहली बार आनंद मोहन की रिहाई पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि इतने लोगों को जेल से छुट्टी मिलती है, लेकिन एक आदमी की रिहाई पर जो बात की जा रही है। इससे हमको तो बड़ा आश्चर्य लग रहा है। इसमें कौन सी ऐसी बात है। उन्होंने बीजेपी के विरोध पर सुशील कुमार मोदी और आनंद मोहन की तस्वीर दिखाते हुए कहा कि सुशील मोदी ने खुद आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी।
बिहार में 698 बंदियों को किया गया रिहा
आनंद मोहन 15 साल से भी ज्यादा दिन जेल में रहे। सभी से राय लेकर निर्णय लिया गया है। बिहार में 2017 से अभी तक 22 बार परिहार बोर्ड की बैठक हुई और 698 बंदियों को रिहा किया गया। बिहार में इस कानून को खत्म कर दिया गया, इसमें क्या दिक्कत है। क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान आदमी की हत्या में फर्क होना चाहिए।
आनंद मोहन पर भीड़ को उकसाने का है आरोप
बिहार के गैंगस्टर छोटन शुक्ला की 4 दिसंबर 1994 को हत्या कर दी गई थी, जिससे मुजफ्फरपुर इलाके में तनाव फैल गया था। 5 दिसंबर को हजारों लोग छोटन शुक्ला का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रहे थे। तभी गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया वहां से गुजर रहे थे। गुस्साए लोगों ने पहले तो उनकी कार पथराव किया, फिर उन्हें कार से बाहर निकाल कर पीट-पीटकर मार डाला। आरोप लगा कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था।