Hyderabad. कर्नाटक में अच्छी जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस का मनोबल सातवें आसमान पर है। आने वाले वक्त में हिंदी पट्टी के 3 राज्यों राजस्थान, मध्यप्र्रदेश और छत्तीसगढ़ में वह अपना जादू बरकरार रखना चाह रही है। लेकिन विपक्षी दलों की एकता को तब झटका लगा जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने कांग्रेस पर तंज कस दिया। उन्होंने इशारों में कह दिया कि कांग्रेस के कर्नाटक में जीत दर्ज करने से कुछ बदलने वाला नहीं है। दरअसल कांग्रेस ने कर्नाटक के शपथग्रहण समारोह में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को न्यौता नहीं भेजा है।
यह बोले केसीआर
तेलंगाना के सीएम केसीआर ने कहा है कि आपने कर्नाटक चुनाव देखा है, बीजेपी हार गई और कांग्रेस जीत गई, कोई जीत गया कोई हार गया, लेकिन इससे बदलेगा क्या? क्या कोई बदलाव होगा? कुछ बदलने वाला नहीं है। केसीआर बोले कि पिछले 75 सालों से कहानी दोहराती रही है, लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
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कांग्रेस को पसंद नहीं 200 सीट का फॉर्मूला
माना जा रहा है कि कांग्रेस विपक्षी दलों के उस सुझाव से इत्तेफाक नहीं रखती जिसमें कांग्रेस को महज 200 सीटों पर लड़ने का सुझाव ममता बनर्जी से लेकर अखिलेश यादव ने दिया है। दूसरा कारण यह है कि तेलंगाना हो या बाकी के अन्य राज्य यहां विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सामने क्षेत्रीय दल ही हैं। ऐसे में वह लोकसभा चुनाव में खुदको इतना नजरअंदाज किया जाना पसंद नहीं कर रही। यही कारण है कि कर्नाटक के शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल और केसीआर को न्यौता नहीं भेजा गया।
विपक्षी एकता का दावा हो जाता है फुस्स
यह पहली बार नहीं है जब विपक्षी एकता के दावे की हवा निकली हो। विपक्षी दल अक्सर विपक्षी एकता और तीसरा मोर्चा बनाने के दावे तो करते हैं, लेकिन इसकी अगुवाई कौन करेगा, इस सवाल पर कोई सटीक उत्तर सामने नहीं आता है। तीसरे मोर्चे की अगुवाई की लड़ाई में एनसीपी के नेता शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, बीआरएस के केसीआर, जद यू के नीतीश कुमार जैसे नेताओं का ईगो कहीं न कहीं टकरा ही जाता है। हाल ही में एनसीपी नेता शरद पवार ने भी कई फैसलों में विपक्षी एकता को धता बताते हुए बयानबाजी कर दी थी। उधर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्रप्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी समय-समय पर बीजेपी का साथ देते नजर आते हैं।