NEW DELHI. चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड होने में अब कुछ घंटे ही बचे हैं। 23 अगस्त को लैंडिंग होनी है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर से संपर्क कर लिया है। चांद धरती से 3.84 लाख किलोमीटर दूर है। इतनी दूर से संपर्क बनाए रखना आसान नहीं है। संपर्क बनाए रखने के लिए ISRO ने 2 माध्यमों का सहारा लिया है।
Chandrayaan-3 Mission:
‘Welcome, buddy!’
Ch-2 orbiter formally welcomed Ch-3 LM.
Two-way communication between the two is established.
MOX has now more routes to reach the LM.
Update: Live telecast of Landing event begins at 17:20 Hrs. IST.#Chandrayaan_3 #Ch3
— ISRO (@isro) August 21, 2023
चंद्रयान-3 में नहीं भेजा गया ऑर्बिटर
चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है। उसकी जगह ISRO ने प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजा है। इसका मकसद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को चांद के पास पहुंचाना था। इसके अलावा लैंडर और बेंगलुरु के इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के बीच संपर्क करना था। वहीं चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।
ISRO का बैकअप प्लान
किसी भी तरह की इमरजेंसी के लिए ISRO ने अलग तैयारी की थी। ये एक तरह से बैकअप प्लान है। इसमें चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को चंद्रयान-3 के लैंडर से जोड़ा जाना था। लैंडिंग में कोई भी परेशानी आने पर चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहे पुराने ऑर्बिटर के जरिए संपर्क किया जा सके। अब इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क सेंटर और टेलिमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क 2 तरह से विक्रम लैंडर से संपर्क कर सकेगा।
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- रोवर चांद पर जो भी देखेगा उसके बारे में लैंडर को मैसेज भेजेगा।
इमरजेंसी में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का सहारा
अगर प्रोपल्शन मॉड्यूल के जरिए संपर्क नहीं हो पाता है, तो फिर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी। इमरजेंसी में बैकअप के लिए चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क साधा गया है।