10,000 करोड़ के कारोबार का संगठित बाजार, उत्तर भारत में कोटा हब तो online कक्षाओं ने घरों तक पहुंच बनाई

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Pooja Kumari
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10,000 करोड़ के कारोबार का संगठित बाजार, उत्तर भारत में कोटा हब तो online कक्षाओं ने घरों तक पहुंच बनाई

Bhopal. भारत में कक्षा 10 तक के बच्चों की कोचिंग का कारोबार सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपए का है। यह कारोबार लगातार बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह है कि भारत में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कोचिंग का सहारा ले रहे हैं। online कोचिंग का ट्रेंड आने के बाद से सभी कोचिंग संस्थानों ने भी इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कक्षा 6 से ही मासूम बच्चों को मेडिकल, IIT, IIM और UPSC क्लियर कराने के सपने दिखाकर बच्चों को कोचिंग के साथ जोड़ रही हैं। सोसायटी में स्टेटस मैंटेंन करने और बच्चों के भविष्य की चिंता में पेरेंट भी बिना विचारे कोचिंग का सहारा ले रहे हैं। आइए जानते हैं देश की कुछ सबसे बड़ी कोचिंग इंस्टीट्यूट किस तरह मासूमों का बचपन भविष्य के सपने साकार करने में खर्च कर रहे हैं।

(नोट- यहां उत्तर भारत के चुनिंदा कोचिंग इंस्टीट्यूट के बारे में ही जानकारी दी जा रही है। वास्तविक सूची कहीं ज्यादा बड़ी है )

आकाश इंस्टीट्यूट

नेटवर्थ- 3,545 करोड़ रुपए

भारत का एक जाना-माना कोचिंग संस्थान है, जो मेडिकल (NEET) और इंजीनियरिंग (JEE) प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 1988 में दिल्ली में हुई थी। वर्तमान में पूरे भारत में 200 से अधिक शाखाओं के साथ संचालित होता है। आकाश ने NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों छात्रों को सफलतापूर्वक तैयार किया है। आकाश ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से कोचिंग उपलब्ध कराता है।

आकाश इंस्टीट्यूट NEET, JEE & foundation courses, के साथ-साथ 8th to 12th के छात्रों को भी शिक्षा प्रदान करता है। बता दें कि आकाश इंस्टीट्यूट साल 2019 में, न्यूयॉर्क स्थित इन्वेस्टमेंट फर्म ब्लैकस्टोन ने लगभग 3,545 करोड़ रुपए के कारोबार सौदे में 1,350 करोड़ रुपए में आकाश में 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली थी।

एलन करियर इंस्टीट्यूट

नेटवर्थ- उपलब्ध नहीं

भारत का एक प्रमुख कोचिंग संस्थान है, जो इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापना 1983 में कोटा, राजस्थान में हुई थी। एलन ने जेईई मेन एंड एडवांस, नीट-यूजी, एनटीएसई, ओलंपियाड और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लाखों छात्रों को सफलतापूर्वक तैयार किया है। एलन ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से कोचिंग प्रदान करता है।

एलन इंस्टीट्यूट, IIT-Jee (Main+Advanced) के साथ-साथ कक्षा 6-10 के छात्रों को भी शिक्षा प्रदान करवाता है।

अनएकेडमी

नेटवर्थ- 3724 करोड़ रुपए

भारत का एक प्रमुख ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूली पाठ्यक्रमों और व्यक्तिगत विकास पाठ्यक्रमों के लिए मुफ्त और सब्सक्रिप्शन-आधारित कोर्स प्रदान करता है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी और वर्तमान में यह लाखों शिक्षार्थियों के साथ भारत में सबसे बड़ा ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म बन गया है। ये NEET, JEE, UPSC, SSC, बैंकिंग जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूली पाठ्यक्रमों और व्यक्तिगत विकास पाठ्यक्रमों की व्यापक रेंज प्रदान करता है। अनएकेडमी IIT, JEE, NEET, UG के साथ-साथ कक्षा 8-12 तक के छात्रों को भी एजुकेशन प्रदान करवाता है। बता दें कि अनएकेडमी की कुल वैल्यू अब 51 करोड़ डॉलर (करीब 3724 करोड़ रु.) है।

बायजू'स

नेटवर्थ- उपलब्ध नहीं

भारत का एक प्रमुख एड-टेक कंपनी है, जो स्कूल की पढ़ाई से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तक विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्स प्रदान करती है। इसकी स्थापना 2011 में हुई थी और वर्तमान में यह भारत में सबसे बड़ी एड-टेक कंपनियों में से एक है। बायजू's कक्षा 1 से 12 के लिए स्कूली पाठ्यक्रम, JEE, NEET, UPSC, बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोर्स और अन्य व्यक्तिगत विकास पाठ्यक्रम प्रदान करता है। बायजू'स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, टैबलेट ऐप और देश भर में स्थित बायजू'स ट्यूशन सेंटर के माध्यम से दोनों मोड में सेवाएं प्रदान करता है। बायजू'स क्लास एलकेजी से तीसरी कक्षा तक की शिक्षा प्रदान करवाता है।

इन कारणों से कोचिंग लेने की मजबूरी

सैद्धांतिक विषयों (गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान) की कोचिंग

प्रयोगात्मक विषयों (विज्ञान, प्रयोगशाला) की कोचिंग

भाषाओं की कोचिंग (अंग्रेजी, हिंदी, अन्य क्षेत्रीय भाषाएं)

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी (जैसे कि बोर्ड परीक्षा, प्रवेश परीक्षा)

कोटा का कोचिंग कारोबार और आत्महत्या के आंकड़े

उत्तर भारत में कॉम्पटीटिव कोचिंग का सबसे बड़ा हब राजस्थान के कोटा को माना जाता है। हर साल लाखों बच्चे सपने लेकर यहां पहुंचते हैं। इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की तैयारी करने के लिए जब स्टूडेंट घरों से निकलते हैं तो उनकी राह राजस्थान में स्थित कोटा शहर की ओर जाती है. दूर-दराज से मिडिस क्लास फैमिली का सपना आंखों में सजाए किसी के आंख का तारा और प्राणों का प्यारा कोटा के लिए निकलता है। साल 2021-22 में यहां 1,15000 कोचिंग के लिए पहुंचे थे, तो वहीं 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 1,77439 हो गई थी। साल 2023-24 में ये आंकड़ा 2,05,000 तक पहुंच गया है।

इसी साल अगस्त तक 25 छात्रों ने की आत्महत्या

2020 और 2021 के महामारी वर्षों में आत्महत्या में गिरावट देखी गई। 2020 में जहां चार छात्रों की मौत हुई तो वहीं 2021 में आत्महत्या से एक भी मौत दर्ज नहीं की गई, क्योंकि लॉक डाउन के कारण छात्रों ने शहर छोड़ दिया था। 2022 में यह आंकड़ा फिर 15 पर पहुंच गया। इसी साल अगस्त तक 25 छात्रों ने आत्महत्या की है। पिछले दिसंबर में पेश किए गए डेटा असेंबली के अनुसार, 87 प्रतिशत आत्महत्याएं छात्रों और 13 प्रतिशत आत्महत्याएं छात्राओं द्वारा की गईं हैं। यहां छात्र ज्यादातर इन पांच राज्यों, बिहार, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान से हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की।

5000 करोड़ की है कोचिंग इंडस्ट्री की नेटवर्थ

कोटा में कोचिंग इंडस्ट्री की कुल नेटवर्थ लगभग 5,000 करोड़ रुपए के करीब है। यहां लगभग 3,000 हॉस्टल, 1,800 मेस, 25,000 पीजी कमरे हैं। पिछले साल, 2।74 मिलियन भारतीय इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में बैठे, और 64,610 स्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा की। इनमें से 2।6 मिलियन से अधिक असफल रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में छात्रों की संख्या में 35 से 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इधर कोचिंग संटरों के अपने ही तर्क

केंद्र सरकार के कोचिंग संबंधी कानून का एलन इंस्टीट्यूट ने ट्वीट कर स्वागत किया है। एलन करियर इंस्टीट्यूट के प्रवक्ता ने कहा, "हम इन दिशा-निर्देशों का स्वागत करते हैं और छात्र समुदाय के लाभ और कल्याण के लिए सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। वहीं दूसरी ओर नाम नहीं छापने का शर्त पर कोचिंग संस्थान कहते हैं कि शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को जारी की गई कोचिंग सेंटरों को नियामक मार्गदर्शिका में कई कमियां हैं। कोचिंग संस्थान संघों के सदस्यों ने ऑनलाइन कोचिंग पर चुप्पी के बारे में इशारा करते हुए पूछा है कि क्या उन संस्थानों को नियामक की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है? क्याेंकि उनके बारे में कोई साफ निर्देश नहीं हैं। इनका तर्क है कि शिक्षा मंत्रालय के गाइडलाइन यह कहती है कि छात्रों को 16 वर्ष से नीचे की आयु में कोचिंग संस्थानों में पंजीकृत नहीं किया जा सकता, लेकिन जो अबेकस, वैदिक गणित, रोबोटिक्स और जूनियर छात्रों के लिए कोडिंग क्लासेस चलाते हैं उनके बारे में क्या है?

भ्रष्टाचार होने की आशंका

केंद्र सरकार ने जिन दिशा-निर्देशों को जारी किया है, उनमें "कोचिंग" को सीखने के किसी भी क्षेत्र में दिए गए ट्यूशन, निर्देश या मार्गदर्शन के रूप में परिभाषित किया गया है जो 50 से अधिक छात्रों को दिए जाते हैं। लेकिन इसमें काउंसलिंग, खेल, नृत्य, रंगमंच और अन्य रचनात्मक गतिविधियां शामिल नहीं हैं। दक्षिण दिल्ली के मुनिरका में स्थित एक कोचिंग संस्थान के एक प्रतिनिधि ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "यह नियमन केवल बड़े संस्थानों के लिए ही प्रतीत होता है और जिन संस्थानों में कम छात्र हैं उन्हें इस नियमन का हिस्सा बनने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही, कोचिंग केंद्रों में छात्रों का नामांकन लगातार बदलता रहता है, क्योंकि छात्र अपने पाठ्यक्रम पूरा कर लेने के बाद छोड़ देते हैं। इसका लगातार निरीक्षण कौन करेगा और इससे केवल कार्यान्वयन करने वाली संस्था में भ्रष्टाचार के लिए ही रास्ते खुलेंगे।"


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