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ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हर साल एक शब्द को 'Word Of The Year' घोषित करती है। इस साल 2024 के लिए 'ब्रेन रोट' (Brain Rot) शब्द को चुना गया है। यह शब्द सोशल मीडिया की लत और इसके मानसिक प्रभावों को दिखाता है। अगर आप दिनभर सोशल मीडिया पर स्क्रॉलिंग में लगे रहते हैं, तो आप भी 'Brain Rot' का शिकार हो सकते हैं। अब इसे ऑफिशियल मान्यता भी मिल चुकी है।
ब्रेन रोट का मतलब है दिमाग का धीरे-धीरे आलसी हो जाना और सोचने-समझने की शक्ति का कम हो जाना। सोशल मीडिया पर घंटों बेकार का कंटेंट देखने से यह कंडीशन पैदा होती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार यह उस मानसिक या बौद्धिक स्थिति का संकेत है, जिसमें व्यक्ति का दिमाग बेकार ऑनलाइन सामग्री से प्रभावित होकर कमजोर हो जाता है। आसान शब्दों में, ऐसी आदतें जो दिमाग को निष्क्रिय (Inactive) बना दें, उन्हें 'ब्रेन रोट' कहा जाता है।
पिछले 20 सालों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इतना विकास हुआ है कि लोग अपने दिन का बड़ा हिस्सा इन्हीं पर बर्बाद कर रहे हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि लोग मोबाइल फोन के साथ बाथरूम तक नहीं जा पाते हैं। इस बुरी आदत ने लोगों की सोचने की क्षमता को प्रभावित किया है। ब्रेन रोट शब्द इन्हीं आदतों का रिजल्ट है, जो आज के समय में बेहद रिलेवेंट हो गया है।
ब्रेन रोट वर्ड का इस्तेमाल पहली बार 19वीं सदी में भी किया गया था। 1854 में हेनरी डेविड थोरो ने अपनी फेमस किताब वाल्डेन में इसका जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था, "जब इंग्लैंड आलू के सड़ने (Potato Rot) की बीमारी का इलाज ढूंढ रहा है तो क्या कोई दिमाग के सड़ने का इलाज भी ढूंढेगा? यह दिमागी बीमारी ज्यादा खतरनाक और व्यापक है।" यह दिखाता है कि मानसिक सुस्ती का मुद्दा पहले भी चिंता का विषय रहा है।
आज के समय में Digital Age ने इस शब्द को और ज्यादा रिलेवेंट बना दिया है। ब्रेन रोट न केवल मानसिक सुस्ती का कारण बनता है बल्कि यह व्यक्ति की क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी को भी प्रभावित करता है। इसीलिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे 'वर्ड ऑफ द ईयर' के रूप में चुना है।