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लोकसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित
लोकसभा (parliament ) अनिश्चित काल के लिए स्थगित,मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही प्रभावित हुई, जिससे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बाधित हुई। राज्यसभा में केवल 38% कामकाज हुआ, जबकि लोकसभा में 37 घंटे की चर्चा में 12 विधेयक पारित हुए। प्रधानमंत्री और स्पीकर ने सांसदों के आचरण पर निराशा जताई और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने की अपील की।
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संसद सत्र का हंगामेदार समापन
मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे ने संसद की कार्यवाही को पूरी तरह से प्रभावित किया, जिससे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बाधित हुई और संसद की कार्यक्षमता पर असर पड़ा। सत्र का अंतिम दिन भी हंगामेदार रहा, जहां विपक्ष के विरोध, व्यवधान और बायकॉट से कार्यवाही पूरी तरह रुक गई।
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संसद सत्र में कार्यवाही प्रभावित
राज्यसभा में इस सत्र के दौरान सिर्फ 38% कामकाज हुआ, बाकी समय हंगामे में बर्बाद हो गया। उपसभापति ने इसे निराशाजनक बताया। लोकसभा में केवल 37 घंटे की चर्चा हुई, जिसमें 12 विधेयक पारित हुए।
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ऑनलाइन गेमिंग बिल पास
विपक्षी विरोध के बावजूद राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन मनी गेम्स को नियंत्रित करना था। विरोध और हंगामे के कारण कार्यवाही 10 मिनट के लिए रोक दी गई, लेकिन बिल पास हो गया।
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स्पीकर की नाराजगी और विपक्षी बहिष्कार
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों के आचरण पर कड़ी नाराजगी जताई, कहा कि हंगामे से लोकतंत्र की छवि को नुकसान हो रहा है। उन्होंने सांसदों को चेतावनी दी कि उनका व्यवहार देश की जनता के सामने निंदनीय है। शिष्टाचार बैठक बुलाने पर विपक्षी नेताओं ने इसका बहिष्कार किया, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल थे, जो संसद में विरोध की राजनीति को दर्शाता है।
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लोकसभा में केवल 55 सवालों के जवाब दिए गए
मानसून सत्र में लोकसभा में कुल 419 सवाल किए गए, जिनमें से महज 55 सवालों के ही उत्तर दिए गए। इससे पता चलता है कि कार्यवाही का अधिकांश समय विपक्षी हंगामे और व्यवधानों में बर्बाद हो गया।
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पीएम मोदी का निराशा जताना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में हो रहे हंगामे और कार्यवाही की गति पर गहरी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस तरह के हंगामे से जनता के अहम मुद्दे प्रभावित होते हैं और देश की प्रगति में रुकावट आती है। प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखने का आह्वान किया।
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हंगामे होने पर भी बिल पास हुए
विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के बावजूद कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कर दिया गया। सदन में विरोध के बावजूद, सरकार ने अपने प्रस्तावों को मंजूरी दिलवाने में सफलता प्राप्त की। यह घटनाक्रम बताता है कि हंगामा फिर भी सदन की कार्यवाही को रोक नहीं पाया।
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अमित शाह का विधेयकों को JPC में भेजने का प्रस्ताव
गृह मंत्री अमित शाह ने तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में भेजने का प्रस्ताव रखा। इनमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर पद से इस्तीफा देने का प्रावधान था। इन विधेयकों पर विपक्षी विरोध के बावजूद चर्चा जारी रही।