/sootr/media/media_files/s9DzZWE2sRmSNj3a8cJD.jpg)
Patanjali Advertisement Case : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक प्रचार के मामले में पतंजलि कंपनी के रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान बाबा रामदेव अदालत में मौजूद थे और उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि की तरफ से दाखिल हलफनामे पर असंतोष भी जताया। भ्रामक विज्ञापन मामले से संबंधित अवमानना कार्यवाही में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। मामले पर सिर्फ पतंजलि ने हलफनामा दाखिल किया है, जिसके एमडी बालकृष्ण हैं। बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से भी हलफनामा देना था।
ऐसे घिर गए रामदेव
बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगना चाहते थे। कोर्ट ने कहा कि हलफनामा पहले आना चाहिए था। क्या कोर्ट से पूछकर हलफनामा लिखेंगे? कोर्ट ने इस रवैये को अस्वीकार्य कहा। कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि 21 नवंबर को कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन दिया। रामदेव ने अगले दिन प्रेस कान्फ्रेंस भी की थी। रामदेव के वकील ने कहा कि उन्हें सबक मिल गया है। वकील ने कहा कि हमारी तरफ से अवमानना कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने पर ही सबक मिलेगा। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल दिया और कहा कि वह वकीलों से बात कर उचित हलफनामा दाखिल करवाएंगे। मेहता ने यह भी कहा कि एलोपैथी की आलोचना हो ही नहीं सकती, यह कहना गलत है। याचिकाकर्ता IMA को ऐसा दावा नहीं करना चाहिए।
अच्छा काम किया मगर: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि हर दवा पद्धति की आलोचना हो सकती है। बाबा रामदेव ने योग के लिए अच्छा काम किया है लेकिन कानून के खिलाफ इस तरह के विज्ञापन नहीं दिए जा सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि 30 नवंबर को दाखिल हलफनामे में भी पतंजलि ने कोर्ट में गलत दावा किया कि वह पिछले हलफनामे (भ्रामक विज्ञापन न देने) का पालन कर रहा है। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया। अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला
- पतंजलि आयुर्वेद पर अपने औषधीय उत्पादों के बारे में भ्रामक दावे करने का आरोप था।
- पतंजलि ने अपने उत्पादों को चमत्कारी और रोगों का इलाज करने वाला बताया था।
- कंपनी ने विज्ञापनों में वैज्ञानिक प्रमाणों का गलत इस्तेमाल किया था।
- दावों को लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं था।
- इसके विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
- इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
मामले की मुख्य घटनाएं
- 2022: IMA ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
- 2023: हाई कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया।
- 2024: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।