NEW DELHI. उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA)और केंद्र सरकार के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता हो गया है। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) ने शुक्रवार को भारत और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं। इस शांति समझौते में हिंसा छोड़ने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने की बातें शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में समझौता हुआ।
उल्फा के 700 कैडरों ने किया आत्मसमर्पण
दिल्ली में हुई अहम बैठक में पूर्वोत्तर में शांति समझौता के लिए उल्फा के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह शांति समझौता अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट और सरकार के बीच 12 साल चली बिना शर्त बातचीत का समापन है। शांति समझौते के साथ उल्फा के 700 कैडरों ने भी समर्पण किया है। सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा ने 40 साल में पहली बार शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार के पूर्वोत्तर में शांति प्रयास की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है। उल्फा पिछले कई सालों से उत्तर पूर्व में सशस्त्र सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसात्मक संघर्ष कर रहा था। इस शांति समझौते से असम में लंबे समय से चले आ रहे विद्रोह का अंत होने की उम्मीद है।
उग्रवादी संगठनों से इस साल सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता
दरअसल, ULFA के एक गुट के 20 नेता पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे। भारत सरकार और असम सरकार के अधिकारी इन नेताओं को शांति समझौते के मसौदे पर साइन करने के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे थे। ULFA के जिस गुट ने शांति समझौते पर साइन किए हैं, उसका नेतृत्व अनूप चेतिया करते हैं। इस गुट ने साल 2011 के बाद से हथियार नहीं उठाए हैं। लेकिन यह पहली बार है जब बकायदा एक शांति समझौते का मसौदा तैयार किया गया है और दोनों पक्षों के नुमाइंदों ने उस पर हस्ताक्षर किए हैं, पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बोले...
शांति समझौते के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह असम के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल दिन है। राज्य और उत्तर-पूर्व में पिछले कई दशकों से हिंसा देखी जा रही है, ,जब से नरेंद्र मोदी आए हैं हम पूर्वोत्तर को हिंसा मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं, पिछले पांच सालों में पूर्वोत्तर में 9 शांति समझौते हुए। उन्होंने बताया कि असम के 85% इलाकों से AFSPA हटाया गया, त्रिपक्षीय समझौते से असम में हिंसा का समाधान हो सकेगा। उल्फा द्वारा दशकों तक की गई हिंसा में 10 हजार लोग मारे गए, यह असम में उग्रवाद का संपूर्ण समाधान है, सभी धाराओं को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
शांति समझौते के मुख्य बिंदू...
1. असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी।
2. असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे।
3. इनके कैडरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर सरकार मुहैया करवाएगी।
4. सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ने उल्फा के सदस्यों को भारत सरकार मुख्य धारा में लाने का हर संभव प्रयास करेगी।