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PATNA. संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। उनके एक भाषण में पंडितों-ब्राह्मणों को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है। वकील सुधीर कुमार ओझा ने मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी।
संघ प्रमुख ने अपने एक भाषण में जातियां बनाने के लिए पंडितों को जिम्मेदार बताया था। सभी प्रकार की हस्तियों के खिलाफ अपनी याचिकाओं से सुर्खियों में रहने वाले ओझा ने भागवत के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सार्वजनिक शांति भंग करने की धाराओं में मामला दर्ज कराया। अदालत इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई करेगी।
वाराणसी में भी भागवत के बयान का विरोध
इधर, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की वाराणसी इकाई के पदाधिकारियों का कहना है कि ब्राह्मण समाज अपमानित महसूस कर रहा है। दूसरी तरफ, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा युवा मंच के पदाधिकारियों ने बैठक करके भागवत के बयान की निंदा की है।
भागवत के बयान, संघ को देनी पड़ी सफाई, संतों का भी विरोध
मोहन भागवत के पंडितों को लेकर दिए बयान पर बवाल जारी है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सफाई दी कि संघ प्रमुख मराठी में बोल रहे थे। इसमें पंडित का शब्द विद्वान से है। लिहाजा संघ प्रमुख के बयान को उचित अर्थ में ही लिया जाना चाहिए। उन्होंने वीडियो बयान जारी कर कहा कि संघ प्रमुख के बयान का गलत अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए।
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जातियां पंडितों ने बनाईं- मोहन भागवत
5 फरवरी को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाईं, पंडितों ने बनाई, जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया। भागवत रविदास जयंती के मौके पर एक प्रोग्राम में गए थे। उन्होंने कहा था कि संत रविदास कहते थे पूरे समाज को जोड़ो, समाज के उन्नति के लिए काम करना ही यही धर्म है। बस अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है।