NEW DELHI. साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में एमपी के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ की मुश्किल बढ़ सकती है। दरअसल सिख विरोधी दंगा मामले में कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विशेष जांच दल (एसआईटी) को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का समय दे दिया है। मामले में कमलनाथ की भूमिका को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को करने का आदेश दिया।
रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एसआईटी को मिला समय
दरअसल, बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सिख दंगा मामले में कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट में दायर की है। मंगलवार को मामले में हुई सुनवाई में अदालत में बताया गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एसआईटी ने अभी तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। जबकि हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट 27 जनवरी 2022 को दाखिल करने का कहा था। इस पर एसआईटी की ओर से पेश वकील ने रिकॉर्ड निकालने की दलील देकर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल तय की है।
कमलनाथ पर गंभीर आरोप
पूरा मामला 3 नवंबर 1984 का है। कमलनाथ पर आरोप है कि वे दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज पर हमला कर रही भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। गुरुद्वारा रकाबगंज पर हुए हमले में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था, याचिका में मनजिंदर सिंह सिरसा ने मांग की है कि कमलनाथ के खिलाफ दर्ज FIR में एसआईटी कार्रवाई करें। 1984 में मनजिंदर सिंह सिरसा ने पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR में कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए SIT को निर्देश देने की मांग की थी।
आरोपियों को शरण देने का आरोप लगा था
इस मामले में दर्ज FIR में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था और कथित तौर पर उन्हें कमलनाथ के घर पर ठहराया गया था, ADJ (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) अदालत में चली सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। हालांकि, कमलनाथ का नाम एफआईआर में कभी नहीं था।
सितंबर 2019 में SIT ने फिर शुरू की जांच
इसके बाद गृह मंत्रालय के निर्देश पर एसआईटी ने सितंबर 2019 में सिख विरोधी दंगा मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था, जहां आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया था या मुकदमा बंद कर दिया गया था, अधिसूचना सार्वजनिक होने के बाद, सिरसा ने दावा किया कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कथित तौर पर उन पांच लोगों को आश्रय दिया था, जो सात मामलों में से एक में आरोपी थे,
गृह मंत्रालय की 2019 की अधिसूचना के अनुसार, एसआईटी ने डिस्चार्ज किए गए मामलों को जांच या प्रारंभिक जांच के लिए ले लिया है। सिख विरोधी दंगों के सात मामले 1984 में दिल्ली के वसंत विहार, सन लाइट कॉलोनी, कल्याणपुरी, पार्लियामेंट स्ट्रीट, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा के पुलिस स्टेशनों में दर्ज किए गए थे। तीन सदस्यीय एसआईटी में दो महानिरीक्षक रैंक के आईपीएस अधिकारी और एक न्यायिक अधिकारी शामिल हैं।