अब 2 अक्टूबर तक नहीं होंगे कोई भी शुभ काम, पितृ पक्ष आज से शुरू

आज भाद्रपद की पूर्णिमा यानी 18 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गया है। पितरों को याद करने का ये पर्व 2 अक्टूबर (सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या) तक रहेगा। इस साल भाद्रपद पूर्णिमा और आश्विन कृष्ण की प्रतिपदा आज ही है।

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Dolly patil
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पितृपक्ष के जरूरी नियम
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हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दिनों का बहुत ही खास महत्व है। दरअसल हमारे परिवार के जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, उन्हें हम पित मानते हैं। आज से यानी 18 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता हैं और ना ही कुछ सामान खरीदा जाता है। 

 पितृपक्ष में क्या होता है

दरअसल पितृ पक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों पर ध्यान देते हैं और उन्हें आशीर्वाद देकर उनकी समस्याएं दूर करते हैं। पितृपक्ष में हम लोग अपने पितरों को याद करते हैं और याद में दान धर्म का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर पितृ नाराज हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। वर्ष में पंद्रह दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, जिसकी शुरुआत आज से हो चुकी है। 

पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष क्यों कहते हैं?

पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष कहा जाता है क्योंकि इस समय में लोग अपने पूर्वजों को श्राद्ध और तर्पण करते हैं। यह समय पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का समय होता है। 

पितृपक्ष में क्या होता है

 हिंदू धर्म में, पितृ पक्ष को पितरों की आत्मा की शांति के लिए एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस समय लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा, तर्पण और श्राद्ध करते हैं। 

पहले दिन किसका श्राद्ध होगा 

पितृपक्ष में पहला श्राद्ध प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध होता है। यह श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि को हो जाती है। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान किया जाता है। परिवार के सदस्यों द्वारा पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।  श्राद्ध में ब्राह्मण भोज और गरीबों को भोजन व दान देने का भी महत्व है। 

पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां



पूर्णिमा श्राद्ध

17 सितंबर 2024

मंगलवार

प्रतिपदा श्राद्ध

18 सितंबर 2024

बुधवार

द्वितीया श्राद्ध

19 सितंबर 2024

गुरुवार

तृतीया श्राद्ध

20 सितंबर 2024

शुक्रवार

चौथा श्राद्ध

21 सितंबर 2024

शनिवार

पांचवां श्राद्ध

22 सितंबर 2024

रविवार

छठा श्राद्ध

23 सितंबर 2024

सोमवार

सातवां श्राद्ध

24 सितंबर 2024

मंगलवार

आठवां श्राद्ध

25 सितंबर 2024

बुधवार

नौवां श्राद्ध

26 सितंबर 2024

गुरुवार

दसवां श्राद्ध

27 सितंबर 2024

शुक्रवार

एकादशी श्राद्ध

28 सितंबर 2024

शनिवार

द्वादशी श्राद्ध

29 सितंबर 2024

रविवार

त्रयोदशी श्राद्ध

30 सितंबर 2024

सोमवार

चतुर्दशी श्राद्ध

1 अक्टूबर 2024

मंगलवार

सर्व पितृ अमावस्या

2 अक्टूबर 2024

बुधवार

पितृपक्ष के जरूरी नियम

पितृपक्ष में तारीख के मुताबिक पितरों का श्राद्ध करने का रिवाज है। परिवार में जो कोई भी पितृपक्ष का पालन करता है या पितरों का श्राद्ध करता है, उसे इस अवधि में केवल एक वेला सात्विक भोजन ( Satvik Food )  ग्रहण करना चाहिए। इसी के साथ पितृपक्ष  में प्याज लहसुन, मांस मदिरा से परहेज भी करना चाहिए। वहीं पितरों को हल्की सुगंध वाले सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए।  जानकारी के मुताबिक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही पितरों को तर्पण और पिंड दान करना चाहिए।  पितृ पक्ष में नित्य भगवद गीता का पाठ भी करना चाहिए। 

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