BHOPAL. दुनियाभर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सबसे पहले 1989 में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organisation) ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जाने लगा है। हाल ही में भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है और दुनिया का सबसे बड़ा पॉपुलेशन यानी आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1428.6 मिलियन हो चुकी है, जबकि चीन की जनसंख्या 1425.7 मिलियन है। यानी भारत की जनसंख्या चीन से 2.9 मिलियन ज्यादा हो गई है। भारत और चीन के बाद अमेरिका का नंबर है। अमेरिका की आबादी करीब 34 करोड़ है। इसके बाद इंडोनेशिया, पाकिस्तान और ब्राजील का स्थान है। भारत में जनसंख्या बढ़ने से संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. भोजन, पानी, आवास, ऊर्जा, स्वास्थ्य की समस्या बढ़ेंगी। ऐसे में सरकार के लिए अब चुनौतियां बढ़ सकती है।
यूएन जनसंख्या कोष की रिपोर्ट : भारत की औसत आयु 28 हुई
भारत में करीब 80 फीसदी आबादी 50 साल से कम उम्र की है। भारत की कुल जनसंख्या में 15 से 64 आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी 68 प्रतिशत है। आमतौर पर इस आयु वर्ग को किसी भी देश की कामकाजी आबादी माना जाता है।
- 26% है देश में 10 से 24 वर्ष के लोगों की संख्या।
आने वाले कुछ सालों में भारत होगा युवा देश
यूएनएफपीए के स्टेटिक्स चीफ रशेल स्नो ने कहा है कि भारत में ऐसे युवाओं की बड़ी संख्या है जो नयी पीढ़ी को जन्म देने के आयुवर्ग में प्रवेश कर रहे हैं यानी आने वाले कई सालों तक भारत में युवा आबादी की तादाद रहने वाली है। सरकार पर निर्भर करता है कि इसका उपयोग कैसे करते हैं।
चीने हमसे इन दो मामलों में बेहतर
- भारत में जीने की औसत आयु भी चीन के मुकाबले कम है। यहां एक पुरुष औसत 71 साल जीते हैं, जबकि एक महिला 74 साल. चीन में यह आंकड़ा 80 के करीब है।
भारत के सामने पांच बड़ी चुनौतियां...
1 भोजन, पानी, आवास, ऊर्जा, स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ेंगी
जिस तरह से भारत में जनसंख्या बढ़ती जा रही है, यह हमसब के लिए चिंता की बात है। जनसंख्या विस्फोट देश के सामने कई चुनौतियां लेकर आया है। जनसंख्या बढ़ने से संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. भोजन, पानी, आवास, ऊर्जा, स्वास्थ्य की समस्या बढ़ेंगी। प्राकृतिक संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। जल, जंगल, जमीन और खनिज का जरूरत से ज्यादा दोहन बढ़ जाएगा, जिससे भविष्य में इन संसाधनों का घोर अकाल पड़ जाएगा। हमारी आने वाली पीढ़ियों के सामने गंभीर चुनौती उत्पन्न हो जाएगी।उनके लिए जीवन आसान नहीं रह जाएगा।
2 जैव विविधता में कमी
जनसंख्या में वृद्धि अनिवार्य रूप से दबाव पैदा करेगी। लोगों के पास रहने के लिए जमीन की कमी होने लगेगी। जिससे लोग जंगलों की ओर भागेंगे। वनों की कटाई से जैव विविधता में कमी आएगी। जिससे प्रदूषण और उत्सर्जन में वृद्धि होगी, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ा देगा। रहने के लिए जमीन और खाने के लिए भोजन नहीं मिलने से झगड़े बढ़ेंगे। हिंसा और राजनीतिक अशांति बढ़ेगी।
3 आपदाओं और महामारियों का खतरा
देश-दुनिया ने कोरोना जैसी महामारी को करीब से देख लिया है। किस तरह से इस वैश्विक महामारी ने दुनिया को तबाह करके छोड़ दिया। कोरोना संकेत है, हमारे लिए, अगर हम इस संकेत को नहीं समझे और जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती गई, तो आने वाले दिनों में ऐसी कई महामारियों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना होगा। जनसंख्या बढ़ने से पर्यावरण साफ और शुद्ध नहीं रहेगा। गंदगी का अंबार होगा, पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलेगी, जिससे रोग बढ़ते जाएंगे। जिससे स्वास्थ्य की चिंताएं बढ़ जाएंगी।
4 बेरोजगारी और भूखमरी की समस्या
जनसंख्या बढ़ने से सबसे समस्या रोजगार को लेकर आती है. एक बड़ी आबादी को रोजगार देना आसान नहीं है। आज के समय में भारत में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है। लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से समस्या भविष्य में और विकराल रूप धारण कर लेगी। रोजगार की कमी होने से लोगों में भूखमरी बढ़ेगी। आर्थिक असमानता बढ़ने से लोगों में अशांति फैलेगी।
5 बड़ी आबादी को शिक्षित करना बड़ी चुनौती
भारत में जिस तरह से जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, आने वाले दिनों में शिक्षा और कौशल विकास सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगी। जिनती संख्या में लोगों को शिक्षित करना और उन्हें कुशल बनाने की जरूरत होगी, शायद उतनी क्षमता शैक्षणिक संस्थानों के पास नहीं होंगी। इसका परिणाम होगा कि एक बड़ी आबादी को सही शिक्षा नहीं मिल पाएगी। लोगों में अशिक्षा बढ़ेगी।
2050 में भारत की आबादी होगी 166 करोड़ से ज्यादा
73 साल बाद चीन पूरी दुनिया में आबादी के आंकड़ों में भारत से पिछड़ गया। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आबादी अब चीन से 29 लाख अधिक हो गई है। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 142 करोड़ 86 लाख और चीन की जनसंख्या 142 करोड़ 57 लाख है। यूएन की रिपोर्ट में कहा है कि भारत में आबादी अगर इसी अनुपात में बढ़ती है तो 2050 में आंकड़ा 166 करोड़ के पार चला जाएगा। आने वाले सालों में चीन की जनसंख्या में कमी होने का अनुमान जताया गया है।
आबादी मामले में यूपी दुनिया का छठा बड़ा ‘देश’
बात आबादी की हो रही है तो उत्तर प्रदेश की गिनती जनसंख्या के हिसाब से दुनिया के छठे बड़े देश में हो सकती है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, भारत के राज्य उत्तर प्रदेश की आबादी 23.5 करोड़ है, जो ब्राजील जैसे देश से अधिक है। जनसंख्या के हिसाब से ब्राजील दुनिया का छठा बड़ा देश है। यहां की आबादी करीब 21 करोड़ है। उत्तर प्रदेश का जनसंख्या घनत्व -829 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। राज्य का प्रयागराज, गाजियाबाद और मुरादाबाद तीन सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। यूपी में पुरुषों की संख्या कुल आबादी का 52 फीसदी है।
जनसंख्या में महाराष्ट्र दुनिया का 10वां बड़ा देश
महाराष्ट्र की आबादी 2023 में करीब 13.6 करोड़ हो गई है। जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो दुनिया में महाराष्ट्र 10वां बड़ा देश है। जापान की आबादी महाराष्ट्र से कम है। जापान की जनसंख्या करीब 12.6 करोड़ है. 2011 में महाराष्ट्र की जनसंख्या करीब 11 करोड़ थी। महाराष्ट्र का मुंबई भारत का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। मुंबई की आबादी करीब 1.2 करोड़ की है।
मप्र समेत 10 बड़े राज्यों की आबादी 5 करोड़ से अधिक, 263 देश पिछड़े
भारत के 10 बड़े राज्यों की आबादी 5 करोड़ से अधिक है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश प्रमुख हैं। इन सभी राज्यों की आबादी करीब 90 करोड़ है। दुनिया के 29 देश की आबादी ही 5 करोड़ से अधिक है। यानी भारत के ये 10 बड़े राज्य जनसंख्या के हिसाब से 263 देश से आगे हैं। आयरलैंड, कुवैत, मंगोलिया और यूक्रेन जैसे देशों की आबादी 5 करोड़ से कम है।
जनसंख्या घनत्व में बांग्लादेश के बाद भारत का स्थान
आबादी के अनुसार, दुनिया के 10 बड़े देशों में जनसंख्या घनत्व के मामले में बांग्लादेश का स्थान पहला है। बांग्लादेश में प्रति किलोमीटर 1265 लोग रहते हैं, जबकि भारत में 464 लोग। भारत में राज्य के हिसाब से जनसंख्या घनत्व का आंकड़ा देखा जाए तो पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है। बंगाल में प्रति किलोमीटर 1026 लोग रहते हैं। इसके बाद बिहार का स्थान है। यहां पर प्रति किलोमीटर 1024 लोग रहते हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रति किलोमीटर करीब 1130 लोग रहते हैं।
भारत में प्रजनन दर : प्रतिदिन 68,500 बच्चों का जन्म
यूनिसेफ के मुताबिक, भारत में प्रजनन दर में कमी के बावजूद प्रतिदिन 68,500 बच्चों का जन्म होता है। यह दुनिया में जन्म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा है। प्रत्येक मिनट इनमें से एक नवजात शिशु की मौत भी हो जाती है। भारत में एक दिन में जितने बच्चों का जन्म होता है, उतनी आबादी दुनिया के 30 देशों की नहीं है। बरमुडा, ग्रीनलैंड और मोनाको जैसे देश इस लिस्ट में शामिल हैं। होली सी की आबादी सिर्फ 801 है, जो दुनिया में सबसे कम है।
चीन-रूस से आबादी में ही नहीं, घनत्व में भी आगे
भारत चीन और रूस से सिर्फ आबादी में ही नहीं, जनसंख्या घनत्व में भी आगे है। भारत चीन से आबादी घनत्व में तीन गुना ज्यादा है, जबकि रूस से 50 गुना अधिक। इसकी मुख्य वजह क्षेत्रफल है. वर्ल्डोमीटर के मुताबिक चीन में प्रति किलोमीटर 153 लोग रहते हैं. रूस में यह आंकड़ा काफी कम है. रूस में प्रति किलोमीटर सिर्फ 9 लोग वास करते हैं. आबादी के हिसाब से 10 बड़े देशों में रूस का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है. जनसंख्या घनत्व के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन पर सिंगापुर है. सिंगापुर में प्रति किलोमीटर 8,358 लोग रहते हैं. सिंगापुर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व में भारत काफी पीछे है.
1951 में थे 36 करोड़े... 2023 में हो गए 140 करोड़, कैसे?
भारत की आजादी के बाद पहली बार साल 1951 में जनगणना की गई, उस वक्त देश की कुल आबादी महज 36 करोड़ थी। इसके बाद जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी और आज 2023 में भारत की आबादी 142 करोड़ से ज्यादा हो गई। आज से करीब 72 साल पहले किसी ने भी ये अंदाजा नहीं लगाया था कि भारत की आबादी में 106 करोड़ की बढ़ोतरी हो जाएगी। भारत में बढ़ती आबादी को लेकर कई बार सरकारों ने चिंता जताई, लेकिन एक बार को छोड़कर कभी प्रयास नहीं किया गया। 1975 के दौरान देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाया गया था, जिसकी तीखी आलोचना हुई थी और इसे संविधान के खिलाफ बताया गया था। भारत में दो-बाल नीति को आजादी के बाद लगभग तीन दर्जन बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन किसी भी सदन से हरी झंडी नहीं मिली। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर जनसंख्या में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई थी। भारत में अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समान अवसर) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) जैसे संवैधानिक अधिकारों की वजह से जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू नहीं हो पा रही है।
चीन बनाम भारत : आबादी को लेकर 7 बड़े फैक्ट्स
- भारत में युवा आबादी ज्यादाः चीन की तुलना में भारत ज्यादा युवा है। भारत की 10 से 24 साल की उम्र की आबादी 26 फीसदी है, जबकि चीन में इस उम्र की 18 फीसदी आबादी रहती है।
कहां बढ़ रही है आबादी?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा आबादी एशियाई देशों में बढ़ रही है। यहां दुनिया की लगभग 50 फीसदी आबादी रहती है। एशियाई देशों में भी सबसे ज्यादा आबादी भारत और चीन में है। दोनों ही देशों में लगभग 3 अरब आबादी रहती है। 2050 तक 8 देशों में आबादी तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इनमें भारत के अलावा पाकिस्तान, कॉन्गो, इजिप्ट, इथियोपिया, नाइजीरिया, फिलिपींस और तंजानिया शामिल हैं। इन 8 देशों में दुनिया की आधी आबादी रहेगी।
क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस
दुनियाभर में 11 जुलाई के दिन को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत UNO की ओर से 11 जुलाई 1989 को की गयी थी। इस वर्ष विश्व पॉपुलेशन डे की थीम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां हम सभी से 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो तय की गई है।
क्या है 2023 की थीम
विश्वभर में किसी भी दिन को सेलिब्रेट करने का कोई उद्देश्य होता है और उद्देश्य के साथ हर वर्ष कोई नयी थीम के तहत काम किया जाता है और लोगों को जानकारी प्रदान की जाती है। विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम ‘Imagine a world where everyone all 8 billion of us has a future bursting with promise and potential.' यानी कि 'एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां हम सभी से 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो' तय की गयी है