DELHI. गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने 26 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने संसद में चार दशक से भी ज्यादा का समय बिताया। बीते साल 15 फरवरी 2021 को गुलाम नबी राज्यसभा से कार्यमुक्त हुए। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा गुलाम नबी की आधिकारिक विदाई से लगाया जा सकता है। गुलाम नबी आजाद 1990 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। वे इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खास रहे हैं। जब उनकी राज्यसभा से उनकी विदाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की आंखों में आंसू आ गए थे। सियासी हलकों में इस बात की काफी चर्चा हुई थी।
गुजरात में जब आतंकियों ने हमला किया, सबसे पहले आजाद का फोन आया- मोदी
मोदी ने आजाद की राज्यसभा से विदाई के मौके पर फरवरी 2021 में बताया था कि गुलाम नबी जब मुख्यमंत्री थे, तब मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारे बीच काफी निकटता रही। एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। उस हमले में करीब 8 लोग मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबी का फोन मेरे पास आया। गुलाम नबी ने लगातार इस घटना पर निगरानी रखी। गुलाम नबी, उन यात्रियों को लेकर इतने चिंतित थे कि जैसे वो उनके परिवार के सदस्य हों। मैं आजाद की और प्रणब मुखर्जी की कोशिशों को कभी नहीं भूलूंगा। उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे। मैंने उनसे कहा कि अगर शवों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज की जरूरत पड़ी तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए मैं व्यवस्था करता हूं। गुलाम नबी उस रात एयरपोर्ट पर मौजूद रहे।
जूलॉजी के स्टूडेंट थे गुलाम नबी, 1973 में कांग्रेस में आए
गुलाम नबी आजाद का जन्म 7 मार्च 1949 को जम्मू के डोडा में हुआ। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई डोडा से की, फिर श्रीनगर में कश्मीर विश्वविद्यालय से जूलॉजी (zoology) में ग्रेजुएशन किया। गुलाम नबी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1973 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप की। अपने करियर की शुरुआत से ही उन्होंने एक दमदार नेता की पहचान बनाई। जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) जम्मू यात्रा पर गई थीं तो वे उनसे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने गुलाम नबी को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। फिर 1980 में वे यूथ कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष बन गए। इसके बाद उन्होंने 1980 में महाराष्ट्र के वाशिम से लोकसभा का चुनाव जीता और सांसद बने। इसके बाद 1982 में उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद हासिल किया।
गुलाम नबी आजाद ने दो बार ठुकराई मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी
गुलाम नबी आजाद के मुख्यमंत्री बनने की कहानी काफी लंबी और रोचक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1986 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनसे जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के लिए आग्रह किया, लेकिन गुलाम नबी ने राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajeev Gandhi) का प्रस्ताव ये कह कर ठुकरा दिया कि उन्हें प्रदेश की राजनीति में दिलचस्पी नहीं है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर तब राज्य हुआ करता था। मोदी सरकार आने के बाद अब जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। इसके बाद 1995-96 तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (Former Prime Minister Narsimha Rao) भी गुलाम नबी को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते थे। उन्होंने गुलाम नबी से मुख्यमंत्री पद की उम्मदवारी के लिए भी कहा, लेकिन वे तब भी नहीं माने। आखिरकार वे 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन ही गए।
आजाद को फूल पसंद हैं
गुलाम नबी फूलों के काफी शौकीन हैं। उनके घर के बगीचे में 25-26 अलग-अलग तरह के फूल लगे हैं। यहां तक कि कश्मीर का ट्यूलिप गार्डन (Tulip Garden, Kashmir) भी उन्हीं की देन है। ट्यूलिप गार्डन, एशिया का सबसे बड़ा गार्डन है। इसे गुलाम नबी ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल (2005-2008) में बनवाया था।
शेरो-शायरी भी कर लेते हैं
जितना गुलाम नबी फूलों को पसंद करते हैं, उतना ही उन्हें शायरी लिखना भी पसंद है। उनके निजी जीवन की बात करें तो उनकी पत्नी शमीम जम्मू-कश्मीर की एक जानी मानी गायिका हैं। यहां तक कि शमीम को पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। उनके दो बच्चे हैं, जिनके नाम सद्दाम और सोफिया हैं। उनके शपथपत्र के मुताबिक, गुलाम नबी करीब 4.13 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं।