प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का Insurance अब आधी कीमत पर ही मिलेगा

पहली बार फसल बीमा की यह दर 10% से नीचे आई है। इसके पीछे बड़ी वजह है कि किसानों ने बीमा कंपनियों से क्लेम लेना कम कर दिया है। बीते 5 साल में बीमा क्लेम में 6 से 7 गुना तक गिरावट आई है।

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ( Prime Minister Crop Insurance Scheme ) के तहत फसलों का बीमा अब आधी कीमत पर मिलेगा। दरअसल, प्रति हैक्टेयर प्रीमियम की दर पहली बार औसतन 7.48% रह गई है। इसमें धान, सोयाबीन, मक्का, गेहूं, ज्वार-बाजरा, अरहर, मूंगफली, तिल, कपास, मूंग, चना, सरसों, अलसी और उड़द शामिल है। सरकार ने 30 अप्रैल को ही नई प्रीमियम दरों की अधिसूचना जारी की है। पहली बार फसल बीमा की यह दर 10% से नीचे आई है। इसके पीछे बड़ी वजह है कि किसानों ने बीमा कंपनियों से क्लेम लेना कम कर दिया है। बीते 5 साल में बीमा क्लेम में 6 से 7 गुना तक गिरावट आई है।

एमपी में 2019 में इतने किसानों ने कराया था बीमा

प्राकृतिक आपदा भी ऐसी नहीं हुई कि क्लेम बढ़े। इसके अलावा फसल उपज का आकलन सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग तकनीक से किया जा रहा है। इसकी मदद से सटीकता ज्यादा है। लिहाजा राज्य सरकार ने बीमा कंपनियों से प्रीमियम की दर कम करा ली।  आंकड़ों के मुताबिक, मप्र में वर्ष 2019 में 28.12 लाख किसानों ने 114 लाख हैक्टेयर फसल का बीमा कराया था। तब प्रीमियम की राशि 3970.88 करोड़ रुपए थी। ऐसे में कुल छह हजार करोड़ से अधिक के क्लेम का भुगतान किया गया। लेकिन 5 साल में फसलों का बीमा करने वाले किसान 2.33 लाख घटकर 25.79 लाख ही रह गए हैं।

सरकार को प्रीमियम के 4100 रुपए करोड़ वापस मिले

पूर्व के वर्षों में फसल बीमा ( Crop Insurance ) प्रीमियम की दर 14% से अधिक थी। तब जो प्रीमियम भरा गया, उसकी तुलना में क्लेम काफी कम था। इसीलिए वर्ष 2021 में 2450 करोड़ और 2022 में 1657.47 करोड़ वापस मिले। वर्ष 2023 में भी ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बीमा कंपनियां 800 से हजार करोड़ तक राशि लौटाएंगी। इधर, अब प्रीमियम की दर के कम होने से सरकार को सीधे हजार करोड़ रुपए बचेंगे।

किसान 2% देते हैं, बाकी राज्य और केंद्र के हिस्से

किसानों को प्रीमियम का 2% देना होता है, जबकि शेष राशि केंद्र-राज्य सरकार वहन करती है। जब प्रीमियम की दर करीब 15% थी, तब सरकार को 13% भरना पड़ता था, अब उसे ताजा प्रीमियम दर में 5.48% पैसा भरना पड़ेगा। आपको बताते चलें सरकारी आंकड़ें के मुताबिक बीते 5 साल में किसानों को क्लेम का भुगतान 5300 करोड़ रुपए घटकर महज 755 करोड़ रुपए रह गया है।

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