BHOPAL. फ्रांस में कृषि प्रणाली में बदलाव की जरूरतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे दो प्रदर्शनकारियों ने पेरिस शहर के लूव्र म्यूजियम में रखी विश्व प्रसिद्ध मोनालिसा की पेटिंग पर सूप फेंका। हालांकि इससे इस पेंटिंग को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचा। बता दें कि इससे पहले भी कई बार मोनालिसा पेंटिंग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा चुकी है। साल 1911 में लौवर म्यूजियम के एक कर्मचारी विन्सेन्जो पेरुगिया ने इस पेटिंग को चुरा ली थी, लेकिन साल 1913 में इसे बरामद कर लिया गया था। इसके बाद से इस पेंटिंग की सिक्योरिटी फ्रांस की स्पेशल डिफेंस यूनिट करती है।
महिलाओं ने ऐसा क्यों किया?
16वीं सदी में इस पेंटिंग को लियोनार्दो द विंची ने बनाया था और ये दुनिया की बेशकीमती धरोहरों में गिनी जाती है। इसको बुलेटप्रूफ ग्लास कवर में रखा जाता है। यही वजह है कि रविवार को हुई घटना में इस पेंटिंग को कोई नुकसान नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक जिन दो महिलाओं ने इस पेंटिंग पर सूप फेंका, उनकी टी-शर्ट्स पर ‘फूड काउंटरअटैक’ लिखा था। इन महिलाओं ने कहा- आप ही बताइए, हमारे लिए क्या जरूरी है? कोई आर्ट वर्क या हेल्दी फूड राइट्स? सरकार का एग्रीकल्चर सिस्टम खुद बीमारू हो चुका है। किसान मर रहे हैं। हम फूड काउंटरअटैक ग्रुप के सदस्य हैं और इस हमले की जिम्मेदारी भी लेते हैं। इस पर कल्चर मिनिस्टर रेचिदा दाती का कहना है कि मोनालिसा की पेंटिंग को टारगेट करना गलत है। ये हमारी विरासत और धरोहर है। 2019 में हमने इसकी नए सिरे से सुरक्षा तय की थी। 2022 में एक एक्टिविस्ट ने इस पर केक फेंक दिया था।
मोनालिसा की पेंटिंग कैसे चोरी हुई थी?
बता दें कि पेरिस के लूव्र म्यूजियम में लगी मोनालिसा की पेंटिंग को दुनिया की सबसे चर्चित पेंटिंग में से एक माना जाता है। अपनी मुस्कान, बनावट, कलर और खूबसूरती के अलावा ये पेंटिंग चोरी होने की वजह से भी फेमस है। बताया जाता है कि 21 अगस्त 1911 को मोनालिसा की ये पेंटिंग चोरी हो गई थी। इसके दो साल बाद 1913 में पुलिस ने इस पेंटिंग को बरामद किया था। इतिहास बताता है कि ये बात अगस्त 1911 की है। म्यूजियम में पेंटिंग्स पर कांच के फ्रेम और बाकी आर्टवर्क किया जा रहा था। कई कारीगर इस काम में लगे थे और पेंटिग्स को एक से दूसरी जगह ले जाया जा रहा था। इसी बीच मोनालिसा की पेंटिंग गायब हो गई। गार्ड ने सोचा कि मोनालिसा की पेंटिंग को भी आर्टवर्क के लिए कहीं ले जाया गया होगा। जब अगले दिन भी पेटिंग नहीं दिखी तो गार्ड को शक हुआ। उसने जब स्टाफ से इस बारे में बात की तो किसी ने भी मोनालिसा की पेंटिंग को हटाने से इनकार कर दिया। अब ये खबर पक्की हो गई थी कि मोनालिसा की पेंटिंग चोरी हो गई है। शाम को पुलिस ने भी इस खबर की पुष्टि की।
मोनालिसा के पेंटिंग का पता कैसे चला था?
पुलिस को उम्मीद थी कि 48 घंटे के भीतर ही चोर फिरौती के लिए फोन करेगा, लेकिन 2 दिन बीतने के बाद भी पुलिस के पास फिरौती से जुड़ा कोई फोन नहीं आया। पुलिस ने जांच शुरू की। चोर इतना शातिर था कि उसने पुलिस के लिए बहुत कम सुराग छोड़े थे। म्यूजियम के बाहर सीढ़ी पर दरवाजे का नॉब, लकड़ी का फ्रेम और कांच का टुकड़ा पड़ा था। आसपास के लोगों से पूछताछ की गई। एक प्लंबर ने बताया कि उसने दरवाजे की नॉब को खोलने में एक व्यक्ति की मदद की थी। लकड़ी के फ्रेम पर एक शख्स के फिंगरप्रिंट थे। म्यूजियम में काम करने वाले सभी लोगों के फिंगरप्रिंट से उसे मैच किया गया, लेकिन वो किसी का नहीं था।
कैसे मिली थी मोनालिसा की पेंटिंग
पुलिस ने बताया कि उस दौरान पुलिस ने मोनालिसा की पेंटिंग के 6 हजार पोस्टर्स लोगों में बंटवाए थे। म्यूजियम की छानबीन की गई। इस छानबीन में मोनालिसा की पेंटिंग तो नहीं मिली, लेकिन म्यूजियम की पहले की गुम हुई, बहुत सी चीजें मिलीं। 7 सितंबर को पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया। दो साल तक पुलिस जांच करती रही, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसी बीच फ्लोरेंस के एक आर्ट डीलर के पास एक लेटर आया। इस लेटर को विन्सेन्जो नाम के एक शख्स ने भेजा था। इसमें लिखा था कि उसके पास मोनालिसा की पेंटिंग है। डीलर ने विन्सेन्जो के साथ पेंटिंग खरीदने के लिए फ्लोरेंस की एक होटल में मीटिंग फिक्स की। इसी मीटिंग में विन्सेन्जो को गिरफ्तार कर लिया गया।विन्सेन्जो म्यूजियम में पेंटिंग के लिए कांच की फ्रेम बना रहा था। इसी दौरान उसने पेंटिंग को चुरा लिया। विन्सेन्जो को एक साल 15 दिन की सजा सुनाई गई, लेकिन 7 महीने बाद ही रिहा कर दिया गया।