पुणे पोर्श कार हादसा मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी किशोर को निगरानी गृह से रिहा करने का आदेश दिया है। डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह हादसा तो गंभीर था, लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं।
निंबध लिखने की सजा दी थी पहले
ज्ञात हो कि पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को 2 आईटी पेशेवरों की तब मौत हो गई थी, जब उनकी बाइक को तेज रफ्तार पोर्श कार ने टक्कर मार दी थी। कार को कथित तौर पर नशे की हालत में किशोर चला रहा था। किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एलएन दानवाड़े की ओर से सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित बहुत ही नरम शर्तों पर आरोपी को जमानत दे दी गई। इसके बाद इस मामले को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश तेज हो गया।
कोर्ट ने कहा कि न्यायालय कानून, किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्यों और प्रावधानों से बंधा हुआ है। उसे अपराध की गंभीरता के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी नाबालिग आरोपी के साथ वयस्क से अलग व्यवहार करना चाहिए। अदालत ने कहा कि आरोपी पहले से ही पुनर्वास के दौर से गुजर रहा है जो कि प्राथमिक उद्देश्य है। उसे पहले ही मनोवैज्ञानिक के पास भेजा जा चुका है और यह सिलसिला जारी रहेगा।
पिता को भी मिल चुकी है जमानत
इससे पहले शुक्रवार को पुणे की एक अदालत ने Pune Porsche Car Accident से जुड़े मामले में किशोर आरोपी के पिता को जमानत दी थी। हालांकि, किशोर का पिता जेल में ही रहेगा, क्योंकि वह घटना से संबंधित अन्य मामलों में भी आरोपी है। इसमें अल्कोहल टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल में हेरफेर और दुर्घटना का दोष लेने के लिए अपने ड्राइवर को गलत तरीके से बंधक बनाना शामिल है। अदालत ने पांच अन्य आरोपियों को भी जमानत दे दी। इनमें 2 बार के मालिक और प्रबंधक भी शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर कम उम्र के व्यक्ति को शराब परोसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।