9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, 2023 में वीर और वीरांगनाओ की याद में आज से ही शुरू होगा ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान 

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Pratibha Rana
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9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, 2023 में वीर और वीरांगनाओ की याद में आज से ही शुरू होगा ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान 

New Delhi. करीब 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी करने के बाद भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली। इसमें 9 अगस्त का दिन भी बहुत मायने रखता है। इस दिन को 'भारत छोड़ो आंदोलन' दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे 'अंगस्त क्रांति' भी कहते हैं। 'करो या मरो' के नारे के साथ शुरू हुए इस आंदोलन ने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 9 अगस्त से ही देशभर में ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान शुरू कर रहे हैं। इसके माध्यम से देश के शहीद वीर और वीरांगनाओ को सम्मान दिया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी भी शहीदों के बारे में जानकारी पा सकें। इस खास दिन पर जानते हैं ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का इतिहास और ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान का उद्देश्य, समानता और भव्य रूप...



कैसे और क्यों की गई ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत?



ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बड़ा आंदोलन छेड़ने का अहम फैसला लिया था। इसके चलते 8 अगस्त 1942 को बम्बई अधिवेशन में एक प्रस्ताव रखा गया। 9 अगस्त 1942 को आंदोलन देशभर में प्रारंभ हुआ। महात्‍मा गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की थी, उस वक्त दूसरे विश्‍व युद्ध में उलझे इंग्‍लैंड को भारत में ऐसे आंदोलन की उम्‍मीद बिल्कुल नहीं थी। पूरी ब्रिटिश हुकूमत इससे हिल गई थी। 1857 के बाद देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में 1942 का ये आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ था। 



8 अगस्त या 9 अगस्त... क्या है ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की सही तारीख?



अमूमन 9 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत मानी जाती है, लेकिन यह आंदोलन 8 अगस्‍त 1942 से शुरु हुआ था। दरअसल 8 अगस्‍त 1942 को बम्बई (वर्तमान में मुंबई) के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया। इसके बाद से ही यह आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर देशभर में शुरू हुआ।



ऐसे आया 'करो या मरो' का नारा 



‘भारत छोड़ो आंदोलन’ भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन था। इस दिन महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया था।



कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित किया, गांधीजी किले में नजरबंद 



आंदोलन में अनुशासन बनाए रखने के लिए महात्मा गांधी ने आह्वान किया था, लेकिन जैसे ही आंदोलन की शुरुआत हुई यानी 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया। सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सेशन को अरुणा आसफ अली ने चलाया था। आंदोलन को लेकर अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया। पुलिस और सरकार की तमाम चेतावनियों के बावजूद भारी संख्‍या में लोग मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में इकट्ठे हुए। तब अरुणा आसफ अली ने इस भीड़ के सामने पहली बार भारत का झंडा फहराया, जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ।



खबर फैलते ही देशभर में हड़ताल और तोड़फोड़ शुरू



अंग्रेजों ने जैसे ही महात्मा गांधी को नजरबंद किया, जिसकी खबर पूरे देश में फैल गई। लोगों ने हड़ताल और तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस आंदोलन में करीब 940 लोग मारे गए थे और 1630 घायल हुए थे, जबकि 60 हजार 229 लोगों ने गिरफ्तारी दी थी।



विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार ने झोंकी ताकत

आंदोलन के दौरान पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना की गई। ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया। सैंकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया, लाठीचार्ज किया। फिर भी इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को सालभर से ज्यादा का वक्त लग गया।



1943 में एकजुट हो गया पूरा भारत, हर धर्म के लोग अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए



‘भारत छोड़ो आंदोलन’ ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था। सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो गए थे। 10 फरवरी 1943 को महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास शुरू कर दिया। उपवास के 13वें दिन गांधी की हालत बिगड़ने लगी। इससे अंग्रेज भी चिंतित हो गए। अंग्रेजों द्वारा देश को स्वतंत्र किए जाने के संकेत के चलते गांधी ने आंदोलन को बंद कर दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग एक लाख से ज्यादा राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया।

 

अंग्रेजों ने चली चाल... हिन्दू-मुस्लिम के बीच डाल दी फूट 



'भारत छोड़ो आंदोलन' भारत का सबसे तीव्र और विशाल आंदोलन बताया जाता है। इसमें सभी धर्म के लोगों ने भागीदारी की थी। इसी के चल‍ते अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा, लेकिन उन्होंने बड़ी चाल चल दी। अंग्रेजों ने 1942 से 1947 के बीच हिन्दू-मुस्लिम के बीच फूट डाल दी, जिसके चलते भारत का विभाजन हुआ।



आज से शुरू होने वाला ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान क्या है? 



भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 30 जून को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान को शुरू करने का ऐलान किया था। उन्होंने बताया था कि हमारे वीर शहीदों को इस अभियान के तहत सम्मान दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी भी उन शहीदों के बारे में जान सकें, जिन्होंने अपने प्राण इस देश की आजादी में लगा दिए। उनके संघर्ष और समर्पण से प्रेरणा ले सकें। आज यानी 9 अगस्त से पूरे देश में यह अभियान शुरू होने जा रहा है। 



9 अगस्त से लेकर 30 अगस्त तक चलेगा अभियान



अमृत महोत्सव को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह मेरी माटी मेरा देश अभियान काफी लाभदायक होगा। इस अभियान के लिए भारत के कोने-कोने से नागरिकों को आमंत्रित किया जाएगा। अभियान पूरे देश में 9 अगस्त से लेकर 30 अगस्त तक चलाया जाएगा। इसमें पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर शहीदों को सम्मान दिया जाएगा। इसके लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। 



अभियान का उद्देश्य



मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य शहीद हुए वीरों को सम्मान देना है। जिन्होंने इस देश को बचाने के लिए अपनी आहुति दे दी, क्योंकि लोग केवल इन्हें 15 अगस्त या 26 जनवरी के दिन ही याद करते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से आने वाली पीढ़ी के मन में अपने देश के प्रति और उन वीरों के प्रति सम्मान पैदा करने के लिए यह पहल की गई है। आयोजन देशभर में किए जाएंगे। पीएम मोदी कार्यक्रम के दौरान पंच प्रणों को पूरा करने के लिए शपथ भी लेंगे।



देश के अलग-अलग कोनों से 7,500 कलशों में मिट्टी लेकर दिल्ली पहुंचेगी यात्रा



सरकार ने इस अभियान के लिए 'अमृत कलश यात्रा' की योजना बनाई है, जिसमें देशभर के गांवों से कलश में मिट्टी और पौधे दिल्ली लाए जाएंगे। यह अमृत कलश यात्रा गांवों और देश के अलग-अलग कोनों से 7,500 कलशों में मिट्टी लेकर दिल्ली पहुंचेगी। यह यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों से पौधे भी लेकर आएगी। 7,500 कलश, मिट्टी और पौधों से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के करीब एक 'अमृत वाटिका' बनाई जाएगी। यह अमृत वाटिका, एक स्पेशल गार्डन, 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का एक भव्य प्रतीक बनेगा।



मोदी की पंच प्रणों की शपथ?



पीएम मोदी ने ‘मेरी माटी मेरे देश’ अभियान का संचालन करते हुए पांच प्रण लेंगे। जब मोदी ने पिछले साल लाल किले पर तिरंगा फहराया था। तब उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान पंच प्रणों की बात भी कही थी, जिससे मेरी माटी मेरे देश अभियान के तहत पूरा किया जाएगा। 



ये हैं पंच प्रण




  • देश की रक्षा करने वाले शहीदों को सम्मान देना। 


  • हमारे मन में बसी गुलामी की मानसिकता को जड़ से बाहर निकालना।

  • देश के प्रत्येक नागरिक को एकजुट और एकता के साथ कर्तव्यबद्ध रहना। 

  • भारत को 2047 में विकसित देश बनाने का सपना साकार करना। 

  • नागरिक होने के कर्तव्य को निभाकर देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करना।


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