NEW DELHI/SURAT. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत के सेशन कोर्ट से बड़ा झटका लगा। 20 अप्रैल को कोर्ट ने राहुल की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 'मोदी सरनेम' को लेकर मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। कांग्रेस सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेगी। राहुल ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। 4 साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। जज आरपी मोगेरा ने इस मामले पर 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब राहुल हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
राहुल की याचिका खारिज करते हुए जज का कमेंट
राहुल की याचिका खारिज करते हुए सूरत कोर्ट के जज आरपी मोगेरा ने अपने ऑर्डर में कहा कि सांसद और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी को अपने शब्दों में ज्यादा सावधान रहना चाहिए था, जिसका लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए था। राहुल गांधी ने जब ये बयान दिया था, तब वे कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ-साथ सांसद भी थे। राहुल गांधी के मुंह से निकलने वाले कोई भी अपमानजनक शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं और इस मामले में 'मोदी' सरनेम वाले व्यक्ति की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा और प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।
अगर याचिका मंजूर हो जाती...
- राहुल की याचिका मंजूर होने पर क्या होता- अगर जज मोगेरा राहुल की याचिका मान लेते तो उनकी संसद सदस्यता बहाली का रास्ता खुल जाता।
ये है मामला
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी...सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है?' इसी को लेकर बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी थी। राहुल के खिलाफ सजा के ऐलान के एक दिन बाद ही यानी 24 मार्च को उनकी संसद की सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी।
कोर्ट में राहुल के वकील ने ये तर्क दिए थे
सजा के खिलाफ अपील के दौरान राहुल के वकील आरएस चीमा ने कहा था- ये पूरा मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों पर बेस्ड था, कई किलोमीटर दूर बैठे एक व्यक्ति ने टीवी चैनल पर राहुल का बयान देखने के बाद शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने अधिकतम सजा दी, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। उनका यह भी कहना था कि निचली अदालत की न्यायिक प्रक्रिया सही तरीके से नहीं की गई। अदालत का फैसला निष्पक्ष नहीं लगा। यह बड़ा अजीब था। मामले में आरोपी (राहुल गांधी) को अधिकतम दो साल की सजा सुनाई गई। यदि एक दिन की भी सजा कम होती तो राहुल की लोकसभा की सदस्यता नहीं जा सकती थी, अदालत के संज्ञान में यह बात थी।
कोर्ट में पूर्णेश मोदी की तरफ से ये तर्क दिए गए थे
इस मामले में सुनवाई के दौरान पूर्णेश मोदी की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी के खिलाफ 10 से ज्यादा आपराधिक मानहानि के मामले चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें फटकार लगाई। पूर्णेश मोदी के वकील हर्ष टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद भी कह रहे हैं कि कोई गलती नहीं की। कोर्ट से मिली सजा के कारण राहुल गांधी को अयोग्य करार दिया गया है, लेकिन वे चुनाव और उसकी जीत का तर्क दे रहे हैं। राहुल गांधी को सही सजा मिली है, जब वे रैली को संबोधित कर रहे थे, तब वे पूरी तरह होश में थे।