राहुल गांधी ने खाली किया सरकारी बंगला, लोकसभा सचिवालय को सौंपी चाबी, कहा- ''सच बोलने की कीमत चुकाई''

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Neha Thakur
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राहुल गांधी ने खाली किया सरकारी बंगला, लोकसभा सचिवालय को सौंपी चाबी, कहा- ''सच बोलने की कीमत चुकाई''

NEW DELHI. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 22 अप्रैल को अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा सचिवालय को चाबी सौंप दी। अब वह अपनी मां सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर रहेंगे। राहुल गांधी साल 2004 से तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगले में रह थे। लोकसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद उन्हें बंगला खाली करने के लिए कहा गया था। जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने शुक्रवार को ज्यादातर सामान खाली कर दिया था। कुछ समय पहले एक और ट्रक सामान लेकर राहुल गांधी के आवास से निकला है।



सदस्यता जाने के बाद मिला था घर खाली करने का नोटिस



दरअसल संसद से सदस्यता जाने के बाद बीजेपी सांसद सीआर पाटिल की अध्यक्षता वाली लोकसभा आवास समिति ने राहुल गांधी को एक नोटिस भेजा था। इस नोटिस में राहुल गांधी को अपना 12 तुगलक लेन बंगला खाली करने के लिए कहा गया था। इस नोटिस में कहा गया था कि उन्हें 22 अप्रैल तक बंगला खाली करना है।



'सच बोलने की कीमत चुकाई'



सरकारी बंगला खाली करने के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैंने 'सच बोलने की कीमत चुकाई' हैं' वहीं उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, भाई ने जो बोला वो सच है। उन्होंने सरकार के खिलाफ बोला इसलिए ये सब हो रहा है वो बहुत हिम्मत वाले हैं... मैं भी उनके साथ हूं।



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सूरत कोर्ट ने दिया फैसला



सूरत कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कोर्ट ने राहुल द्वारा 'मोदी सरनेम' को लेकर 2 साल की सजा सुनाई थी। निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक लगाने के लिए राहुल गांधी सूरत सेशन कोर्ट का रुख किया था। दरअसल, राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।



राहुल की संसद सदस्यता हुई रद्द



सूरत कोर्ट से सजा मिलने के बाद जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।

 


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