NEW DELHI. इस समय देश की राजनीति में राहुल गांधी चर्चा में हैं। सूरत कोर्ट ने उन्हें 23 मार्च को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, इसके खिलाफ राहुल ने सूरत के सेशंस कोर्ट में अपील कर चुके हैं। 24 मार्च को राहुल की संसद की सदस्यता खत्म हो गई। उन्हें 12, तुगलक लेन वाले बंगले को खाली करने का आदेश दिया गया। राहुल ने धन्यवाद देते हुए आदेश का पालन करने की बात कही। 24 अप्रैल तक राहुल को सरकारी बंगला खाली करना है। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राहुल को अपने घर में रहने का ऑफर भी दिया। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने राहुल को अपने घर में रहने का इनविटेशन दे डाला। अब राहुल का सामान उनकी मां सोनिया गांधी के बंगले यानी 10, जनपथ में शिफ्ट किया जा रहा है।
राहुल जब 2004 में अमेठी से पहली बार सांसद बने थे, तब 2005 में 12, तुगलक लेन वाला बंगला अलॉट हुआ था। वहीं, सोनिया गांधी 32 साल से 10, जनपथ में रह रही हैं। आज आपको 10, जनपथ के इतिहास में लेकर चलते हैं। ये भी बताएंगे कि सांसदों को किस तरह के बंगले अलॉट किए जाते हैं...
कितना बड़ा है 10 जनपथ
10 जनपथ टाइप 8 प्रकार का बंगला है। ये दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित सरकारी बंगलों की सबसे हाई कैटेगरी है। इस कैटेगरी में कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस, पूर्व प्रधानमंत्रियों को बंगला दिया जाता है। 10 जनपथ का कुल क्षेत्रफल 15 हजार 181 वर्गमीटर है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग का एरिया 14 हजार 101 वर्गमीटर है। 10 जनपथ में 5 बेडरूम, 1 हॉल, एक बड़ा डायनिंग रूम, एक स्टडी रूम, कैंपस में बैठने की जगह, गार्डन और सर्वेंट क्वार्टर हैं।
10 जनपथ सबसे पहले देश के दूसरे पीएम को अलॉट हुआ था
27 मई 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था। इसके बाद उनके आवास त्रिमूर्ति भवन को कांग्रेस ने नेहरू मेमोरियल बनाने का फैसला किया। सवाल उठा कि नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री कहां रहेंगे। इसके बाद शास्त्री को 10 जनपथ आवंटित किया गया, जहां वे अपने परिवार के साथ रहने लगे। 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के इसमें शिफ्ट होने के 2 साल बाद उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनका रहस्यमयी हालात में निधन हो गया। इसके बाद 10, जनपथ केंद्र के मंत्रियों को भी अलॉट किया जाता रहा।
राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया के मिला 10 जनपथ
12 जनवरी 1990 में राजीव गांधी और सोनिया गांधी 10, जनपथ में रहने आए। एक साल बाद 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई। राजीव के बाद 1991 में ही इस बंगले को सोनिया गांधी के नाम पर ट्रांसफर कर अलॉट कर दिया गया। तब से यह सोनिया गांधी के घर का पता बना हुआ है।
राहुल को 12, तुगलक लेन बंगला कब मिला था?
राहुल गांधी अभी तक 12, तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले में रह रहे हैं। 2004 में अमेठी से पहली बार सांसद बनने पर 2005 में उन्हें ये बंगला अलॉट किया गया था।
राहुल की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद उन्हें सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ेगा। लोकसभा सचिवालय ने राहुल को 24 अप्रैल तक बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था। राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अपने आवास में रहने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, राहुल अपनी मां सोनिया के साथ 10, जनपथ में रहेंगे।
ऐसे अलॉट होता है सांसदों को बंगला
लोकसभा सदस्यों को दिल्ली में बंगले का आवंटन ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ करता है। यह मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के अंतर्गत आता है। ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ के अंदर भी ये काम जनरल पूल रेसिडेंशियल एकमोडेशन (GPRA) एक्ट के तहत किया जाता है। इसमें घरों के आवंटन के लिए केंद्र के जनरल पूल रेसिडेंशियल एकमोडेशन रूल्स 2017 का पालन किया जाता है।
GPRA में केंद्र सरकार का कोई भी कर्मचारी घर के लिए अप्लाई कर सकता है, लेकिन अलॉटमेंट के लिए पे स्केल, ऑफिस और पोजिशन को देखा जाता है और उसी के अनुसार बंगले दिए जाते हैं। इन बंगलों के लिए सरकार की तरफ से मंथली रेट भी तय है। इसे सरकार मार्केट रेट के हिसाब से ही रखने की कोशिश करती है। इन घरों के रख-रखाव के लिए सरकार की तरफ से अलाउंस भी दिया जाता है।
545 सांसदों के लिए सरकार के पास 517 ठिकाने
लोकसभा सांसदों को देने के लिए फिलहाल 517 आवास है। इसमें भी 159 बंगले हैं, 37 ट्विन फ्लैट, 193 सिंगल फ्लैट, 96 मल्टीस्टोरी फ्लैट और 32 यूनिट्स सिंगुलर रेग्युलर घर हैं। ये सभी प्रॉपर्टी सेंट्रल दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, मीना बाग, विशम्भर दास मार्ग, तिलक लेन, विट्ठल भाई पटेल हाउस और बाबा खड़क सिंह मार्ग में है।
जिन सांसदों को आवास नहीं मिलता, उनके लिए ये व्यवस्था
जिन सांसदों को सरकार बंगला नहीं दे पाती, वो सांसद दल्ली के किसी भी होटल में सरकार के खर्चे पर रह सकते हैं। सांसद जितने दिन भी अपने काम से दिल्ली में ठहरता है, उसका खर्च केंद्र सरकार उठाती है। सरकार सांसदों के लिए होटल में अस्थायी आवास कैटेगरी के तहत भी रहने की व्यवस्था करती है। होटल में सिंगल सुइट दिया जाता है। यह तब तक के लिए होता है, जब तक सरकार उस सांसद के लिए नियमित घर की व्यवस्था नहीं करती।
बंगला खाली करवाना हो तो उसके लिए अलग नियम
राहुल गांधी जैसे या अन्य इसी तरह के मामलों में सरकारी बंगला खाली कराने का भी एक कानून है। इसके लिए पब्लिक प्रिमाइसेस (एविक्शन ऑफ अनऑथोराइज्ड ऑक्यूपेंट्स एक्ट) का इस्तेमाल किया जाता है। कानून के नियमों के मुताबिक…
- नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर बंगला खाली करने को कहा जाता है।
दिल्ली के लुटियंस जोन में ये बंगले
बंगले का टाइप |