Ram Lalla Surya Tilak: सूर्य की किरणों से हुआ रामलला का सूर्या तिलक

त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी राजा के कुल में पैदा हुए थे और प्रतिदिन सुबह सूर्य को अर्ध्य देते थे।

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Pratibha ranaa
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Ram Lalla Surya Tilak

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BHOPAL. आज राम नवमी ( Ram Navami 2024 ) का त्योहार है। रामनवमी यानी भगवान राम के जन्मोत्सव का दिन। राम नवमी, हिन्दु धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल भगवान राम की जन्म-जयंती के रूप में मनाया जाता है। 500 सालों के बाद श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या में बने मंदिर में राम नवमी मनाई जा रही है। राम मंदिर में भगवान राम का सूर्य तिलक किया गया। दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर सूर्य अभिषक प्रारंभ हुआ, जो करीब 5 मिनट तक चला। रामलला के मस्तक जब सूर्य की किरणें पड़ी तो पूरा दृश्य अलौकिक और दिव्य दिखा। करीब 5 मिनट तक रामलला के मस्तक पर सूर्य का टिका बना रहा।

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ऐसे हुआ रामलला का सूर्य तिलक

  • मंदिर के पहले हिस्से पर लगे दर्पण पर सूर्य की रोशनी गिरी, यहां से रोशनी ने परावर्तित होकर पीतल के पाइप में प्रवेश किया।
  • फिर पीतल की पाइप में लगे दूसरे दर्पण से सीधे रोशनी टकराकर 90 डिग्री में बदल गई। 
  • लंबवत पीतल के पाइप में सूर्य किरणें तीन अलग-अलग लेंस से आगे बढ़ी।
  • सूर्य किरणें तीन लेंस से गुजरने के बाद गर्भगृह के सीध में लगे दर्पण से टकराईं। 
  • यहां से किरणें एक बार फिर 90 डिग्री के कोण में मुड़कर सीधी यानी क्षैतिज रेखा में आ पहुंची।
  • फिर इन किरणों ने सीधे रामलाल के मस्तक पर टकराकर सूर्य तिलक किया।

राम नवमी पर ग्रहों का संयोग

त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी राजा के कुल में पैदा हुए थे और प्रतिदिन सुबह सूर्य को अर्ध्य देते थे। अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम नवमी के ही दिन भगवान राम का सूर्य तिलक किया गया। 

ग्रहों का दुर्लभ संयोग भी रहेगा

वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या में जब प्रभु राम का जन्म हुआ था तब सूर्य और शुक्र अपनी-अपनी उच्च राशि में थे और चंद्रमा भी स्वयं की राशि में मौजूद थे। इस बार राम नवमी पर भी ऐसा शुभ संयोग बना हुआ है। इसके अलावा शनि अपनी स्वराशि में रहेंगे। सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष राशि में हैं। ऐसे में ग्रहों के शुभ संयोग के कारण रामनवमी पर व्रत, पूजा-पाठ और मंत्रों का जाब करना शुभ फलदायी रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भगवान राम का जन्म त्रेता युग में कर्क लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र, अभिजीत मुहूर्त और सूर्य के उच्च राशि में हुआ था। 

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