बाहर से फ़ूड ऑर्डर करना हो तो हर किसी के जेहन में सबसे पहले जोमैटो और स्विगी का ही नाम आता है। लेकिन, इनके डिलीवरी और दूसरे हिडन चार्ज देखकर कई बार लोग मन मसोज कर रह जाते हैं। लेकिन, अब रैपिडो (Rapido) और बिगबास्केट (BigBasket) जैसे नए खिलाड़ी इस मैदान में उतरने जा रहे हैं।
इससे न सिर्फ रेस्टोरेंट मालिकों को राहत मिलेगी, बल्कि ग्राहकों को भी सस्ती फूड डिलीवरी का फायदा मिल सकता है। भारत में इस समय ऑनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट लगभग 8 अरब डॉलर का है। स्विगी और जोमैटो मिलकर इसका लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा है।
रैपिडो का नया मॉडल: कम कमीशन, ज्यादा फायदा
रैपिडो ने एलान किया है कि वह रेस्टॉरेंट्स से केवल 8% से 15% कमीशन लेगा। यह ज़ोमैटो और स्विगी के 16%-30% की तुलना में आधा है। इसके अलावा, 400 रुपए से कम के ऑर्डर पर 25 रुपए और उससे ऊपर पर 50 रुपए की फिक्स्ड फीस (Fixed Fee) रखी गई है। स्विगी इसी फ़ूड डिलीवरी के 78 रुपये और जोमैटो 35 रुपए लेता है।
रेस्टॉरेंट्स की शिकायतें
छोटे रेस्टॉरेंट्स को इस कदम से राहत मिलेगी जो अब तक विज्ञापन खर्चों पर ऊंचे कमीशन से परेशान थे। इनका कहना था कि ज़ोमेटो (Zomato) हर विज्ञापन के 30 रूपए लेता है। रैपिडो का यह मॉडल पहले बेंगलुरु में जून अंत या जुलाई शुरुआत में शुरू होगा। Ownly नाम से कंपनी ने बेंगलुरु में अपना नया फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। रैपिडो ने अपने 40 लाख राइडर्स की मदद से इस सेवा की शुरुआत की है। कंपनी ने ऑफलाइन और ऑनलाइन कीमतों में अंतर नहीं देने का दावा किया है।
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बिगबास्केट का 10 मिनट में फूड डिलीवरी का दावा
टाटा समूह (Tata) के बिगबास्केट ने पूरे देश में 10 मिनट में फूड डिलीवरी का लक्ष्य रखा है। कंपनी मार्च 2026 तक 1000 से 1200 डार्क स्टोर्स (Dark Stores) की योजना बना रही है। इन स्टोर्स के जरिए कंपनी घनी आबादी वाले इलाकों में फूड डिलीवरी तेज और सस्ती बनाना चाहती है। यह सेवा स्विगी इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट और जेप्टो कैफे जैसी क्यू-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर देगी।
रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि मौजूदा प्लेटफॉर्म्स पर हर ऑर्डर पर 30 रुपए से ज्यादा विज्ञापन खर्च हो रहा है, जिससे मुनाफा कम हो गया है। कई बार बिना मंजूरी के विज्ञापन चलने की भी शिकायतें मिली हैं। ऐसे में रैपिडो और बिगबास्केट का मॉडल रेस्तरां मालिकों के लिए आर्थिक रूप से टिकाऊ साबित हो सकता है।
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