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PURI. घरों, दुकानों आदि जगह चूहों का आतंक होना आम बात है। हम सभी को कहीं न कहीं इस समस्या का सामना करना पड़ता है। चूहों को बचाने के लिए तरह-तरह के जतन करने पड़ते हैं और आखिरकार चूहों से छुटकारा भी मिल जाता है। लेकिन अब चूहों के समस्या का एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां इसका हल निकालना मुश्किल पड़ रहा है। यह मामला है देश के सुप्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ पुरी का।
चूहों ने कुतरे भगवान के कपड़े, चट कर जाते हैं फूल
चूहों ने 'रत्न सिंहासन' (पवित्र वेदी) पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के कपड़े कुतर लिए हैं। ये देवताओं को चढ़ाए गए फूलों को चट कर जाते हैं। इस समस्या के निजात के लिए कुछ समय पहले एक भक्त ने चूहों को भगाने वाली मशीन दान की थी। यह मशीन गर्भगृह में लगाई भी। लेकिन अब मंदिर के सेवकों ने इस मशीन को गर्भगृह से हटा दिया है। इसका कारण यह है मशीन की आवाज से भगवान की नींद में खलल पड़ रही है।
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भनभनाती हुई आवाज से भगवान की नींद हो रही खराब
हिन्दुओं के पवित्र धाम जगन्नाथ मंदिर के सेवादारों ने गर्भगृह के अंदर चूहों को भगाने वाली मशीन का उपयोग करने से इनकार कर दिया है। उनका तर्क है कि मशीन की भनभनाती हुई आवाज से भगवान की नींद में खलल पड़ सकता है। दरअसल, पिछले कुछ समय से मंदिर परिसर में चूहों का आतंक है, जिसके चलते मंदिर प्रशासन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मंदिर में चूहों को नहीं मारा जा सकता
हमारी संस्कृति में किसी भी जीव को मारने की अनुमति नहीं है। इस कारण चूहों की ये परेशानी मंदिर समिति के लिए गले की फांस बन गई है। चूहों को भगाने के लिए अब गर्भगृह में माउस ट्रैप लगाने की प्रक्रिया चल रही है। कैच-एंड-रिलीज एकमात्र विकल्प है।
भगवान के सोते समय द्वार से गर्भगृह तक पिन-ड्रॉप साइलेंस होता है
मंदिर प्रशासकों ने बताया कि मंदिर की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कि जब भगवान जगन्नाथ सो जाते हैं तो जय विजय द्वार (द्वार) से गर्भगृह तक पिन-ड्रॉप साइलेंस होता है। घना अंधेरा किया जाता है, जिससे भगवान शांति से सो सकें।