गणतंत्र दिवस परेड में आज भी बनी हुई है अंग्रेजों के समय से चली आ रही ये परंपरा
गणतंत्र दिवस पर भारत अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करता है, जो ब्रिटिश काल से जुड़ी एक परंपरा है। इस समारोह में कई और रिवाज भी हैं जो अंग्रेजों के समय से चले आ रहे हैं।
गणतंत्र दिवस पर भारत अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन दुनिया के सामने करता है, जो एक ऐतिहासिक परंपरा है। ये रिवाज ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है और इस समारोह में कई अन्य परंपराएं भी हैं जो अंग्रेजों के समय से चली आ रही हैं।
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ब्रिटिश रिवाजों का पालन
गणतंत्र दिवस परेड में कई ब्रिटिश रिवाजों का पालन किया जाता है, जो आज भी भारत की सैन्य शक्ति और अनुशासन को दिखाते हैं।
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सेना की ताकत का प्रदर्शन
गणतंत्र दिवस परेड में सेना की ताकत दिखाने की परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है। पहले ये अंग्रेजों द्वारा किया जाता था और अब भारत इसे आगे बढ़ा रहा है।
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21 तोपों की सलामी
गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी देने का रिवाज भी ब्रिटिश काल से है। ये परंपरा आज भी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर निभाई जाती है।
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स्वदेशी तोपों का इस्तेमाल
गणतंत्र दिवस पर पहले 25 पाउंडर आर्टलरी से तोपों की सलामी दी जाती थी, लेकिन अब ये स्वदेशी तोपों से की जाती है।
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गोला दागने की प्रक्रिया
21 तोपों की सलामी हर 2.25 सेकंड के अंतराल पर गोला दागकर दी जाती है, जिससे परेड का दृश्य और भी शक्तिशाली बनता है।
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भारत में परंपराओं का सम्मान
इन रिवाजों के जरिए भारत अपनी सैन्य ताकत का सम्मान करता है और ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपराओं को नए तरीके से निभाता है।