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New Delhi. सूडान में चल रहे हिंसा के दौर के बीच भारत सरकार वहां फंसे भारतीयों को निकालने ऑपरेशन कावेरी चला रखा है। जिसके तहत अब तक 1100 भारतीयों को सूडान से निकाला जा चुका है। जिसमें से 613 लोग भारत पहुंच चुके हैं। बाकी के लोग सउदी अरब के जेद्दा में हैं। बुधवार की रात 367 भारतीयों का पहला जत्था सउदी अरब के जेद्दा से दिल्ली पहुंचा था।
एयरपोर्ट पर लगे ‘भारतमाता की जय’ के नारे
सूडान में फैली हिंसा के बीच से किसी तरह अपने देश वापस पहुंचे लोगों ने एयरपोर्ट पर भारतमाता की जय, इंडियन आर्मी जिंदाबाद और प्रधानमंत्री मोदी के लिए नारेबाजी की। सूडान से भारत वापस लौटे लोगों में कई बच्चे भी शामिल हैं। उनमें से एक बच्ची ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि - सूडान के हालात बहुत खराब थे, किसी भी पल हमारी जान जा सकती थी। आज दोपहर 246 नागरिकों का दूसरा जत्था भी मुंबई एयरपोर्ट पर उतरा।
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विदेश मंत्रालय की ओर से विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने ऑपरेशन कावेरी के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का मकसद जल्द से जल्द अपने लोगों को सुरक्षित जगह भेजकर उन्हें वापस लाना है। सूडान के हालात बेहद खराब हैं, हम हर इंडियन को वहां से बाहर निकालेंगे। बता दें कि अभी सूडान में करीब 3500 भारतीय और करीब एक हजार भारतीय मूल के लोग फंसे हुए हैं। क्वात्रा के मुताबिक भारतीयों को लाने के लिए आईएनएस तरकश भी सूडान बंदरगाह पहुंच चुका है।
कई भारतीय लूट का हुए शिकार
सूडान से लौटे भारतीयों ने वहां के खूनी मंजर का वृतांत सुनाया है। दिल्ली एयरपोर्ट पर सूडान से आई पल्लवी ने बताया कि हमें नहीं पता था कि हममें से कौन जिंदा रहेगा। वहां घरों को बमों से उड़ाया जा रहा है। आंखों के सामने फायरिंग हो रही थी। हम अपने साथ पैसे भी नहीं लाए, क्योंकि वहां की सेना हमें लूट सकती थी। इन लोगों में शामिल मोहित नाम के युवक ने बताया कि दो तीन दिनों तक हमें खाना नहीं मिल पाया। विद्रोह कर रहे सुरक्षाबल के जवान हमारे दफ्तर में घुस आए और सबसे लूटपाट की, यहां तक कि 8 घंटे तक बंधक बनाकर भी रखा। मोबाइल-पैसे जेवरात सब छीन लिए।
अब तक 459 मौतों की पुष्टि
डब्ल्यूएचओ की ओर से आए आधिकारिक बयान के मुताबिक सूडान में जारी संघर्ष में अब तक 459 लोगों की मौत हो चुकी हैं, इनमें आम लोग और सैनिक दोनों शामिल हैं। जबकि 4 हजार 72 लोगों के घायल होने की सूचना है। बता दें कि 15 अप्रैल को सूडान में तख्तापलट के लिए सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच संघर्ष शुरू हुआ था।