NEW DELHI. अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग के बाद अब एक फिर भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बुच पर बड़ा आरोप लगाया है। रिपोर्ट की माने तो सेबी चीफ बुच ने अपने 7 साल के कार्यकाल में कंसल्टेंसी फर्म से रेवन्यू कमाना था। जो नियमों का उल्लंघन था। बता दें कि साल 2017 में माधबी पुरी बुच ने SEBI को ज्वाइन किया था जिसके बाद मार्च 2022 में उन्हें सेबी चीफ बनाया गया था।
रिपोर्ट में कंसल्टेंसी फर्म का जिक्र
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कंपनियों से प्राप्त दस्तावेजों की जांच में पाया है कि अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड (Agora Advisory Pvt Ltd ) से सात साल में 442,025 डॉलर की कमाई की थी। जो सेबी के संभावित नियमों का उल्लंघन है। इस कंपनी में सेबी चीफ की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। दस्तावेजों के अनुसार रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस रेवन्यू की अडानी ग्रुप से लिंक की जानकारी सामने नहीं आई है।
यह नियमों का उल्लंघन
रिपोर्ट के अनुसार सेबी के 2008 के नियम का संभावित उल्लंघन हो सकता है। सेबी के नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी ऐसी पद नहीं रह सकता है, जिससे उसे मुनाफा हो रहा हो या फिर वेतन मिल रहा हो। साथ वह ऐसी गतिविधियों में शामिल भी नहीं हो सकता। बता दें कि रॉयटर्स की रिपोर्ट पर बुच या सेबी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद बुच ने कहा था कि सेबी को कल्सटेंसी फर्म की जानकारी दी गई थी। 2019 में यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद उनके पति इस कल्सटेंसी बिजनेस को संभाल रहे थे।
क्या है पूरा मामला
हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में 2 कंसल्टेंसी फर्म को लेकर बात कही थी। हिंडनबर्ग के अनुसार सिंगापुर की अगोरा पार्टनर्स और भारत की अगोरा एडवाइजरी को बुच और उनके पति चला रहे थे। सिंगापुर कंपनी रिकॉर्ड के आधार पर रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सेबी चीफ बुच ने मार्च 2022 में अगोरा पार्टनर्स की अपनी हिस्सेदारी अपनी पति को दे दी थी। लेकिन वह भारतीय फर्म में हिस्सेदार थीं।
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