Rishi Panchami 2024: ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) का पर्व हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) के दिन सप्त ऋषियों (Sapta Rishis) की पूजा करके अपने जाने-अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित किया जाता है। शास्त्रों में सप्त ऋषियों (Sapta Rishis) के नाम कश्यप (Kashyap), अत्रि (Atri), भारद्वाज (Bharadwaj), विश्वामित्र (Vishwamitra), गौतम (Gautam), जमदग्नि (Jamdagni) और वशिष्ठ (Vashishtha) बताए गए हैं।
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ऋषि पंचमी तिथि (Rishi Panchami Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे से शुरू होगी और 8 सितंबर को शाम 07:58 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के कारण व्रत 8 सितंबर को रखा जाएगा।
ऋषि पंचमी पूजन विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)
- सुबह स्नान करके साफ-सुथरे और हल्के पीले वस्त्र पहनें।
- लकड़ी की चौकी पर सप्त ऋषियों की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।
- चौकी के पास जल से भरा कलश रखें।
- सप्त ऋषियों को धूप, दीप, फल, फूल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें।
- सप्त ऋषियों से अपने पापों के लिए क्षमा माँगें और दूसरों की मदद का संकल्प लें।
- आरती के बाद व्रत कथा सुनें और प्रसाद वितरण करें।
ऋषि पंचमी पूजा मंत्र
1. कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
2. गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।
ऋषि पंचमी आरती
श्री हरि हर गुरु गणपति , सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।
ॐ जय गौतम त्राता , स्वामी जी गौतम त्राता ।
ऋषिवर पूज्य हमारे ,मुद मंगल दाता।। ॐ जय।।
द्विज कुल कमल दिवाकर , परम् न्याय कारी।
जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।। ॐ जय।।
पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।।ॐ जय।।
गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये ।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।।ॐ जय।।
अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो ।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।।ॐ जय।।
पुत्र प्राप्ति हेतु , भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से , सुत को जन्म भयो।।ॐ जय।।
भूप मनोरथ पूर्ण करके , चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की , निर्मल देह करी।।ॐ जय।।
ऋषिवर अक्षपाद की आरती ,जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से , मनोवांछित फल पावे ।।ॐ जय।।
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