1951 मॉडल की एक विंटेज रोल्स-रॉयस कार, जो कभी बड़ौदा की महारानी की थी और जिसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मंगवाया था, आज एक दहेज विवाद के केंद्र में है। यह मामला ग्वालियर के शाही परिवार की बेटी और एक शैक्षणिक संस्थान संचालित करने वाले परिवार के युवक के बीच है, जिनकी शादी होने के तुरंत बाद ही वे अलग हो गए।
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पति ने विंटेज रोल्स-रॉयस कार को दहेज में मांगा
शाही परिवार की बेटी ने आरोप लगाया कि उसका पति उस कार को दहेज के रूप में पाने का इच्छुक था, जो उनके घर में रखी थी। यह 1951 का रोल्स-रॉयस मॉडल है, जिसे H.J. Mulliner & Co. ने खासतौर पर बड़ौदा की महारानी के लिए बनाया था। लड़की के परिवार ने इस मांग को ठुकरा दिया, जिससे उनके बीच मतभेद बढ़ गया।
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रिश्ते का अंत और एक दूसरे पर आरोप
लड़की के परिवार ने दावा किया कि उनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ जुड़े रहे थे और कोकण के शासक रहे थे। दूसरी ओर, लड़के का परिवार इंदौर में एक शैक्षणिक संस्थान का संचालन करता है। दोनों परिवारों ने अलग-अलग तरीके से बताया कि कैसे रिश्ता तय हुआ और मार्च 2018 में ग्वालियर में सगाई और एक महीने बाद ऋषिकेश में शादी हुई। लेकिन शादी के बाद लड़की को ससुराल नहीं ले जाया गया और दोनों परिवारों में विवाद बढ़ गया।
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लड़के ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
लड़के ने लड़की और उसके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें उसने आरोप लगाया कि शादी के दौरान उसके परिवार से बड़ी रकम ली गई। इसके जवाब में लड़की ने भी दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करवाई, लेकिन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया। लड़की ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां उसने दावा किया कि लड़के का परिवार न केवल कार, बल्कि मुंबई में एक फ्लैट भी दहेज के रूप में मांग रहा था।
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सुलह की कोशिशों में SC ने मध्यस्थ किया नियुक्त
बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता माखीजा ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ के सामने बताया कि लड़की की शाही समुदाय में पुनर्विवाह की कोई परंपरा नहीं है, जिससे उसकी स्थिति और कठिन हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुलझाने के लिए पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर. बसंत को मध्यस्थ नियुक्त किया, जो दोनों पक्षों के बीच सुलह प्रक्रिया का संचालन करेंगे।
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