JAIPUR. राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस में सियासी खींचतान देखने को मिल रही है। कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि ये कहां की नीति है कि अपनी पार्टी के लोगों को बदनाम करो और बीजेपी के लोगों का गुणगान करो। जनसंघर्ष यात्रा के आखिरी दिन सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि मेरे काम करने के तरीके पर, मेरी निष्ठा पर मेरे घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। मैं किसी पद पर रहूं या नहीं रहूं, मैं राजस्थान की जनता की सेवा अंतिम सांस तक करता रहूंगा। मैं डरने वाला नहीं हूं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे प्रदेश में करूंगा आंदोलन
सचिन पायलट ने कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगे नहीं मानी गई तो युवाओं के लिए, भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। हम गांव में हर जगह जनता के साथ पैदल चलेंगे। मैंने कभी किसी पर आरोप नहीं लगाया किसी के खिलाफ बुरा शब्द नहीं निकाला पायलट ने कहा कि मेरे मुद्दे को जनता का समर्थन मिला है। मैं कहना चाहता हूं कि आखिरी सांस तक प्रदेश की जनता की सेवा करता रहूंगा। राजनीति सिर्फ पद के लिए नहीं होती, जो भी कुर्बानी देनी पड़े तो दूंगा। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि जो पेपर लीक पीड़ित हैं उन्हें मुआवजा मिले, आरपीएस को भंग किया जाए, नए सिरे से चयन प्रक्रिया तय हो। वसुंधरा सरकार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच हो।
'राजस्थान की जनता समझदार है'
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता के बीच जाना होगा। ये पेपर लीक होता कैसे है, पूरे तंत्र को बदलना पड़ेगा। युवाओं का जीवन अंधकार में चला जा रहा है। 20 से 25 लाख बच्चे हर साल गांव से शहर आते हैं, कोचिंग करते हैं। उनके मां बाप पेट काटकर फीस देते हैं। उनके पेपर कैंसिल हो जाते हैं, पेपर लीक हो जाते हैं, उम्र निकल जाती है। युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं तो देश भी सुरक्षित नहीं। राजस्थान की जनता समझदार है वो सब सही गलत समझती है।
क्यों शामिल नहीं हुए पायलट समर्थक विधायक?
पांचवें दिन की जनसंघर्ष यात्रा अजमेर से शुरू हुई, इस मार्च में हजारों समर्थक शामिल हुए। लेकिन उनके समर्थित विधायक नहीं दिखाई दिए। कारण सामने यह आया कि इन विधायकों को खुद सचिन पायलट ने ही रणनीति तौर पर मार्च में शामिल होने से रोका था। ताकि उन पर कोई अनुशानात्मक कार्रवाई पार्टी स्तर पर ना हो सके। चुनावी साल में हो रही सचिन पायलट की इस यात्रा को मुख्यमंत्री और कांग्रेस हाईकमान पर दबाव के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल इस सियासी घमासान के बीच बीजेपी अपना फायदा होते देख रही है, वहीं कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही है।