आर्थिक संकट के बीच रुका हिमाचल के सरकारी कर्मियों का वेतन, ओपीएस पर फोड़ा गया ठीकरा

हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने के बाद वहां की कांग्रेस सरकार आर्थिक संकट में घिरती नजर आ रही है। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को अगस्त माह के वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया है।

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Sourabh Bhatnagar
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आर्थिक संकट में हिमाचल सरकार
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हिमाचल प्रदेश ( Himachal Government ) में पुरानी पेंशन योजना ( Old Pension Scheme ) बहाल होने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ( CM Sukhwinder Singh Sukhu ) के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार आर्थिक संकट ( Economic Crisis ) में घिरती दिख रही है। खबरों के मुताबिक, राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को अगस्त माह के वेतन का भुगतान ( Government Employees Salarie ) अब तक नहीं किया है। वहीं, राज्य के लाखों पेंशनर भी अपनी पेंशन आने के इंतजार में बैठे हुए हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि पुराने कर्ज का ब्याज लौटाने चलते सरकार ने 5 तारीख को इनकी सैलरी देने का निर्णय लिया है।

ओपीएस बहाल होने से आया राज्य में आर्थिक संकट

माना जा रहा है कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल होने के चलते की प्रदेश की सुक्खू सरकार पर आर्थिक संकट आया है। वहीं, प्रदेश के  कर्मचारी संघों का कहना है कि वे सीएम सुक्खू से मिलकर राज्य के कर्मचारियों और पेंशनोरों को जल्द से जल्द भुगतान करने का आग्रह करेंगे। आपको बता दें  कि प्रदेश के कर्मचारी संघों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल किए जाने का विरोध किया है।

इस संकट की जिम्मेदार है पूर्व बीजेपी सरकार: सीएम

विधानसभा के मॉनसून सत्र में आर्थिक संकट पर बात करने हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की पूर्व बीजेपी सरकार को इस संकट का जिम्मेदार बताया है। सीएम ने कहा कि बीजेपी के कुप्रबंधन से आज प्रदेश में इस तरह का संकट आया है। सीएम ने बताया कि बीजेपी के शासन में  प्रदेश में बिजली पर 14 प्रकार की सब्सिडी दी जाती थी। आपको बता दें कि सरकार ने 1 सितंबर से निजी होटलों को दी जा रही सब्सिडी को बंद कर दिया है। हालांकि, सीएम सुक्खू  राज्य में आर्थिक संकट जैसी स्थिति से इनकार किया है।

मुख्यमंत्री ने लिया था 2 महीने का वेतन न देने का फैसला

इससे पहले मुख्यमंत्री सुक्खू और उनके मंत्रियों ने 2 महीने का वेतन व भत्ता न लेने का फैसला किया था। वहीं, मुख्यमंत्री ने राज्य के विधायकों से भी इस तरह का निर्णय लेने की अपील की है। सीएम सुक्खू ने दावा किया था कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। आपको बता दें कि प्रदेश को हर महीने कर्मचारियों  के वेतन और पेंशन के लिए 2000 करोड़ रुपए चाहिए होते हैं जिसमें से 1200 करोड़ रुपए  वेतन के तौर पर दिए जाते हैं और 800 करोड़ रुपए  पेंशन के रूप में पेंशनरों को दिए जाते हैं।

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