ब्रिटेन की सल्वा हुसैन एक अनोखी महिला हैं, जिनका दिल उनके शरीर के बाहर, एक बैग में धड़कता है। यह बात शायद चौंकाने वाली हो, लेकिन यह सच है। सल्वा हुसैन, जो पूर्वी लंदन के एल्फोर्ड की रहने वाली हैं, ब्रिटेन की पहली ऐसी महिला हैं, जिनके पास एक कृत्रिम दिल है जो उनके शरीर के अंदर नहीं बल्कि बाहर है। दरअसल, उनका शरीर हर्ट ट्रांसप्लांट ( Heart Transplant ) के लिए अनुकूल नहीं था, जिसके चलते डॉक्टर्स ने उन्हें एक कृत्रिम दिल ( Artificial Heart ) के सहारे अस्पताल से छुट्टी दे दी।
43 साल की है सल्वा
सल्वा का यह कृत्रिम दिल उन्हें हर समय जीवित रखता है और यह उनकी सामान्य जीवनशैली बनाए रखने में मदद करता है। उनकी उम्र 43 साल है, और उनकी कहानी तब शुरू होती है जब उनकी बेटी मात्र छह महीने की थी। उस वक्त उन्हें सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत हर्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन उनका शरीर उस समय इस ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं था। इसलिए डॉक्टर्स ने कृत्रिम दिल लगाने का फैसला किया।
हार्ट डोनर की तलाश
यह कृत्रिम दिल एक जटिल प्रणाली से जुड़ा हुआ है, जो उनके शरीर में रक्त के प्रवाह को सामान्य रखता है। इसमें एक मोटर पंप जुड़ा होता है, जो पतले पाइप्स ( Thin Pipes ) के जरिए हवा भरता है। इस पूरे सिस्टम का वजन लगभग 6 किलो 800 ग्राम है। पाइप्स सल्वा के पेट से जुड़े होते हैं और वहां से सीने तक प्लास्टिक के दिल तक पहुंचते हैं, जो उनके रक्त प्रवाह को सुचारू रखते हैं। सल्वा उन लाखों लोगों में से एक हैं, जिन्हें हार्ट डोनर की तलाश है।
'जीवन और मौत का हुआ नया अहसास'
सल्वा अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहती हैं कि अस्पताल में रहते समय उन्हें जीवन और मौत का नया अहसास हुआ। वह बताती हैं कि जब हम जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर होते हैं, तो बाहरी चीजों की चिंता करना छोड़ देते हैं और केवल जीवन के अनमोल क्षणों को संजोते हैं। यह अनुभव उन्हें प्रेरित करता है कि जीवन में असल मायने सिर्फ सांस लेने से नहीं, बल्कि हौसले के साथ आगे बढ़ने से हैं।
सल्वा का यह जज्बा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं। अगर जीवन में जीने का जज्बा हो तो कठिनाइयां भी दूर हो जाती हैं। भारत में हाल के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लगभग 22 हजार लोग गंभीर बीमारियों के चलते आत्महत्या कर लेते हैं। सल्वा की कहानी ऐसे लोगों को एक नई उम्मीद दे सकती है।
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