जैन तीर्थ कुंडलपुर : समय सागर महाराज अब आचार्य , दो लाख लोग बने साक्षी

आचार्य विद्यासागर महाराज ( Acharya Vidyasagar Maharaj ) के उत्तराधिकारी के तौर पर समय सागर महाराज ( Samay Sagar Maharaj ) ने आचार्य पद स्वीकार कर लिया। इस आयोजन में दो लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए।

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Marut raj
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Samay Sagar Maharaj accepted the post of Acharya in Jain pilgrimage Kundalpur the sootr द सूत्र
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भोपाल. जैन तीर्थ कुंडलपुर ( Jain pilgrimage Kundalpur ) में‎ आचार्य विद्यासागर महाराज ( Acharya Vidyasagar Maharaj ) के उत्तराधिकारी के तौर पर समय सागर महाराज ( Samay Sagar Maharaj ) ने आचार्य पद स्वीकार कर लिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ( आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ) सहित सभी अतिथि समय सागर महाराज को आसन तक लेकर पहुंचे। आचार्य समय सागर महाराज को सबसे ऊंचे आसन पर बैठाया गया। इससे पहले सोने-चांदी के कलश से उनके चरण धुलवाए गए। कार्यक्रम का संचालन नियम सागर महाराज, प्रणाम सागर महाराज ने किया। चौक पूरने के बाद आचार्यश्री का आसन रखा गया। इसके बाद मुनिसंघ ने समय सागर महाराज से पद स्वीकार करने का निवेदन किया।

दो लाख लोग बने साक्षी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत करीब दो लाख श्रद्धालु महोत्सव के साक्षी बने। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि समय सागर महाराज का आचार्य पदारोहण हम सबके लिए सौभाग्य की बात है। हमें उनका मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहेगा। इसके साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि सागर में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज बनने वाला है। उसका नाम आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के नाम पर रख दिया है। अपने जीवन काल में वो जीते जी देवत्व को प्राप्त कर गए।  

समय सागर से पहले शांतिनाथ जैन था नाम 

समय सागर जी महाराज पहले शांतिनाथ जैन के नाम से जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम मल्लप्पाजी जैन है। वहीं, मां का नाम श्रीमंति जी जैन है। संत शिरोमणि समय सागर जी महाराज छह भाई-बहनों में छठे नंबर पर थे। उनका जन्म 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। अभी वह 65 साल के हैं। समय सागर जी महाराज की जन्मस्थली कर्नाटक के वेलगाम में है।

1975 में समय सागर महराज ने अपनाया था ब्रह्मचर्य 

संति शिरोमणि मुनि श्री समय सागर जी महाराज ने ब्रह्मचर्य व्रत दो मई 1975 को अपनाया। 18 दिसंबर 1975 को उन्होंने झुल्लक दीक्षा ली है। इसके बाद 31 अक्टूबर 1978 को एलक दीक्षा जैन सिद्ध क्षेत्र नैनागिरी जी, छतरपुर मध्य प्रदेश में ली है। वहीं, मुनि दीक्षा आठ मार्च 1980 को जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जी, छतरपुर मध्यप्रदेश में ली है।

विद्यासागर जी महाराज के हैं सगे भाई

सबसे खास बात यह है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बाद जैन धर्म के अगले समय सागर जी महाराज उनके सगे भाई हैं। श्री विद्यासागर जी महाराज, मुनि श्री समय सागर जी महाराज और मुनि श्री योगसागर जी महाराज गृहस्थ जीवन में सगे भाई हैं। इन तीनों के गृहस्थ जीवन के माता-पिता और दो बहनें भी आचार्य धर्मसागर जी से दीक्षित हुए थे।

डोंगरगढ़ में आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने त्यागी थी देह

जैन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में देह त्याग दिया था। तीन दिन की समाधि के बाद वह ब्रह्मलीन हो गए। इसके बाद उनके शिष्य समय सागर जी महाराज जैन धर्म के अगले जैन संत शिरोमणि आचार्य होंगे। प्रथम मुनि शिष्य पूज्य प्रथम निर्यापक श्रमण मुनिश्री समयसागर जी महाराज हैं। 

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