Fact check : संभल हिंसा से जुड़े वायरल वीडियो की सच्चाई जानें

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संभल हिंसा से जुड़े वीडियो की सच्चाई यह है कि यह वीडियो हाल की घटना का नहीं, बल्कि दिसंबर 2019 में गोरखपुर में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन का है। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही यह जानकारी पूरी तरह झूठी है।

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Ravi Singh
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Fact check : सोशल मीडिया पर आए दिन फर्जी वीडियो और गलत जानकारी वायरल होती रहती है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के संभल हिंसा से जुड़े एक वीडियो को लेकर बड़े स्तर पर भ्रम फैलाया जा रहा है। इस वीडियो में पुलिस को भीड़ पर लाठीचार्ज करते हुए दिखाया गया है। दावा किया गया कि यह वीडियो हाल की हिंसा का है। लेकिन फैक्ट चेक डेस्क की जांच में यह दावा फर्जी पाया गया।

क्या है वायरल दावा?

एक सोशल मीडिया यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "संभल में पुलिस ने आतंकियों पर लाठीचार्ज कर दिया।" इसके बाद कई यूजर्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगाया।

सच्चाई क्या है?

फैक्ट चेक डेस्क ने इस वीडियो की जांच की और पाया कि यह वीडियो दिसंबर 2019 का है, जब गोरखपुर में सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया था।

जांच में क्या सामने आया?

वीडियो का की-फ्रेम रिवर्स सर्च करने पर यह वीडियो सुरेश चव्हाणके के फेसबुक पेज पर मिला, जहां इसे 2020 में पोस्ट किया गया था।

संभल हिंसा का सच

रविवार, 24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा में चार लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए। हाल की हिंसा के असली वीडियो और तस्वीरें इस वायरल वीडियो से मेल नहीं खातीं।

यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो का वर्तमान हिंसा से कोई संबंध नहीं है। यह वीडियो 2019 के गोरखपुर सीएए विरोध प्रदर्शन का है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा पूरी तरह फर्जी है।

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