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JAIPUR. सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन धर्मावलंबी लगातार मध्य प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं। आमरण अनशन के दौरान 3 जनवरी को मुनि सुज्ञेय सागर ने अपने प्राण त्याग दिये थे। अब एक अन्य मुनि समर्थ सागर ने भी अपने प्राणों की आहूति दे दी। 5 जनवरी को रात 1.40 बजे उनका निधन हो गया। वे मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के निधन के बाद अन्न-जल त्याग कर आमरण अनशन पर बैठ गए थे। 6 जनवरी को सुबह 8.30 बजे संघी जी जैन मंदिर से मुनिश्री की डोल यात्रा निकाली गई।
झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के खिलाफ देशभर में विरोध का सिलसिला जारी है। पारसनाथ पहाड़ी दुनियाभर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखरजी के रूप में विख्यात है।
सत्ता का खौफ दिखाकर उठाया जा रहा फायदा
अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू का आरोप है कि सम्मेद शिखर जैन तीर्थ जैन समाज और साधु समाज में कितना महत्व रखता है, इसका अंदाजा ना केंद्र सरकार लगा रही है और ना ही झारखंड सरकार। पिछले 4 दिनों में मुनि समर्थ सागर महाराज दूसरे संत हैं, जिन्होंने सम्मेद शिखर जी को लेकर अपने प्राणों की आहुति दी है। 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने जो ऑर्डर जारी किया है, वह केवल जैन समाज को गुमराह करने के लिए जारी किया है। इसका फायदा सत्ता के बल पर उठाया जा रहा है।
अभी तक केंद्र सरकार ने 2 अगस्त 2019 का गजट नोटिफिकेशन ना तो रद्द किया और ना ही 'पर्यटक' शब्द हटाया। साथ ही तीर्थ स्थल की घोषणा भी अभी तक नहीं की। सिर्फ जनता को लुभाने के लिये ऑर्डर जारी कर दिया। समाज के इतने विरोध प्रदर्शन के बाद जिस जगह को सेंसिटिव जोन घोषित किया था, केवल उस पर रोक लगाई है, जबकि उसे रद्द करना था। झारखंड और केंद्र सरकार साजिश के तहत एक-दूसरे के साथ पत्रबाजी कर रही हैं। जैन समाज इनके षड्यंत्रों से गुमराह नहीं होगा और आंदोलन यथावत जारी रहेगा।
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