JAIPUR/SHRINAGAR. एक तरफ राजस्थान की चर्चित राजनीतिक हस्ती के घर जन्मे युवराज। दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में चर्चित राजनीतिक हस्ती के घर में जन्मी शहजादी। जब युवराज और शहजादी का इश्क परवान पढ़ा तो धर्म, मजहब की सारी हदें टूट गई। राजनीतिक वर्चस्व की दीवारें हिल गई। चौतरफा विरोध ही विरोध। राजनीतिक हलकों में सियासत भी गर्माई। लेकिन प्यार को कहां, कब, कोई जंजीरें कैद कर पाई है। आखिरकार प्यार की जीत हुई। यह कहानी किसी फिल्म की नहीं बल्कि हकीकत है। आज वेलेंटाइन डे है और हम बात कर रहे है राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला की प्रेम कहानी के बारे में।
किसी फिल्म से कम नहीं है ये लव स्टोरी
सचिन और सारा की लव स्टोरी भी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। विदेश में पढ़ाई के दौरान सचिन पायलट की मुलाकात सारा अब्दुल्ला से हुई थी। फिर धीरे-धीरे उनकी दोस्ती हुई और ये दोस्ती फिर धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। दरअसल, सारा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी और उमर अब्दुल्ला की बहन हैं। सचिन पायलट जब अपनी पढ़ाई पूरी कर विदेश से भारत लौटे, उसके बाद भी सारा और उनका प्यार कम नहीं हुआ। दोनों ने कई साल तक एक-दूसरे से बात की और फिर उन्होंने अपने-अपने परिवार को इस बारे में बताने का फैसला किया। दोनों ने हिम्मत करके ये काम कर तो दिया, लेकिन उनके प्यार के बीच मजहब की दीवार आकर खड़ी हो गई। दरअसल, सचिन हिंदू परिवार से थे, जबकि सारा मुस्लिम परिवार से थीं।
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दोनों परिवार शादी के लिए नहीं थे राजी
सचिन और सारा दोनों के परिवार ने उनकी शादी के लिए इनकार कर दिया था। कहा जाता है कि फारूक अब्दुल्ला ने तो सारा से इस बारे में बात करने से ही मना कर दिया था। सारा कई दिनों तक रोती रहीं और अपने पिता को मनाने का प्रयास करती रहीं, लेकिन फिर भी उनके पिता नहीं माने। आखिरकार साल 2004 में सचिन और सारा ने एक दूसरे से शादी कर ही ली, जिसमें सिर्फ सचिन का परिवार ही शामिल हुआ था। उनकी शादी में अब्दुल्ला परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ था। हालांकि समय के साथ अब्दुल्ला परिवार ने भी दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया।
देश के एक जाने-माने राजनेता हैं पायलट
सचिन पायलट देश के एक जाने-माने राजनेता हैं। वह चर्चित राजनीतिक हस्ती रहे राजेश पायलट के बेटे हैं और फिलहाल वह राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह 15वीं लोकसभा में केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी रह चुके हैं। यही नहीं, सचिन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। हालांकि बाद में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था।