आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि, आइए जानते हैं दोनों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण किस्से

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Shivasheesh Tiwari
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आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि, आइए जानते हैं दोनों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण किस्से

BHOPAL. भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और 'लौहपुरुष' कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज, 31 अक्टूबर 2022 को 147वीं जयंती है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वह भारत के पहले उपप्रधान मंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री भी थे। सरदार पटेल को रियासतों के भारतीयों के भारतीय संघ में शांतिपूर्ण एकीकरण और भारत के राजनीतिक एकीकरण के लिए श्रेय दिया जाता है। आज ही के दिन 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दो बॉडीगार्ड्स, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। ये दोनों इंदिरा द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से कथित तौर पर नाराज थे। इस हत्याकांड में एक तीसरा शख्स भी शामिल था, जिसका नाम था केहर सिंह।



स्टेच्यू ऑफ यूनिटी



जब देश आजाद हुआ तो छोटे छोटे 562 देसी रियासतों में बंटा था। सभी रियासतों का विलय करना आसान नहीं था। सरदार पटेल ने इस चुनौती का सामना किया और अपनी बुद्धि व अनुभव का इस्तेमाल करते हुए सभी को एकता के सूत्र में पिरोया। उनके इसी योगदान के कारण सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के तौर पर मनाते हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचार लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। आपको बता दें कि सरकार पटेल की 143वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी (Statue of Unity) का लोकार्पण किया। दुनिया की सबसे ऊंची यह प्रतिमा केवड़िया कॉलोनी में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के सामने बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर यानी कि 597 फीट है। यह पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है।



आइए जानते हैं लौह पुरुष से जुड़े कुछ तथ्य- 




  • गांधीजी की इच्छा का सम्मान करते हुए सरदार पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से खुद को दूर रखा और पं. नेहरू का समर्थन किया।   


  • गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल की पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था।

  • सरदार पटेल ने हैदराबाद के विलय के लिए ऑपरेशन पोलो चलाया था। पहले हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था।   

  • जिस समय हैदराबाद के विलय की कार्रवाई की गई, उस समय पंडित नेहरू देश में नहीं थे। 

  •  सरदार ने नवंबर 1950 में पंडित नेहरू को पत्र लिखकर भारत के उत्तर में चीन के संभावित खतरे के बारे में आगाह किया था।

  • 1909 में पटेल की धर्मपत्नी का हॉस्पिटल में एक ऑपरेशन के दौरान देहांत हो गया। जब पटेल को यह समाचार दिया गया, तब वह अदालत में जिरह (बहस) कर रहे थे। इसके बाद भी उन्होंने अपना काम जारी रखा। अदालत की कार्रवाई समाप्त होने के बाद ही उन्होंने अन्य लोगों को यह खबर बताई।

  • सरदार पटेल का महात्मा गांधी से बेहद लगाव था। जब महात्मा गांधी की हत्या की गई तब इस खबर को सुनकर पटेल की सेहत भी खराब रहने लगी। यहां तक कि गांधीजी की मौत के दो महीने बाद ही उन्हें हार्ट अटैक भी हुआ।

  • सरदार पटेल ने देश के गृहमंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की हत्या और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था।

  • सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के ना चाहते हुए भी बना।

  • गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आईसीएस) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आईएएस) बनाया।



  • इंदिरा गांधी ने 3 साल से ही शुरू हो गई थी पब्लिक लाइफ



    इंदिरा गांधी का बचपन अकेलपन में बीता। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके माता-पिता अक्सर जेल में होते। इलाहाबाद के उनके घर पर पुलिस की रेड पड़ती रहती। घर में पुलिस का आना-जाना लगा रहता। बचपन में इन सारी बातों के अनुभव ने ही शायद इंदिरा गांधी की शख्सियत को इतना ताकतवर बनाया।



    एक बार इंदिरा गांधी ने अपने बचपन की चर्चा करते हुए कहा था कि उनकी पब्लिक लाइफ 3 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी। इंदिरा ने कहा था- ‘मुझे बचपन के खेलों की कुछ याद नहीं है। मुझे याद नहीं है कि बचपन में मैं दूसरे बच्चों के साथ कभी खेला करती थी। मुझे लगता है कि बचपन में जो काम मैं सबसे ज्यादा करती थी, वो था- एक ऊंचे टेबल पर खड़े होकर नौकरों को वजनदार आवाज में भाषण देना। मेरे बचपन के खेल भी राजनीतिक हुआ करते थे।’



    आइए जानते हैं इंदिरा गांधी से जुड़े कुछ तथ्य- 




    • देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था।


  • 19 नवंबर 1917 को यूपी के इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। उनके घर का नाम 'इंदू' था और वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं।

  • इंदिरा का नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। इसका मतलब होता है कांति, लक्ष्मी और शोभा।

  • वहीं 12 सितंबर 1912 को मुंबई के फोर्ट तेमुलजी नरिमान हॉस्पिटल में जन्में फिरोज गांधी मूल गुजराती हैं।

  • आजादी की लड़ाई में इंदिरा की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देने के दौरान बेहोश हो गई थीं। उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की।

  • कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज अक्सर उनके घर भी आया-जाया करते थे। इस तरह वे नेहरू परिवार के करीब आते चले गए।

  • इसी दौरान उनकी और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं। फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे, तब भी वे अक्सर आनंद भवन जाया करते थे।

  • कुछ समय बाद जब फिरोज और इंदिरा के प्रेम-प्रसंग की जानकारी कमला नेहरू को हुई तो वे बहुत गुस्सा हुईं।

  •  दोनों के अलग-अलग धर्मो के होने की वजह से भारतीय राजनीति में खलबली मचने का डर जवाहरलाल नेहरू को भी सताने लगा था।

  • इसलिए उन्होंने यह बात महात्मा गांधी से बताई और सलाह मांगी। महात्मा गांधी ने फिरोज को ‘गांधी’ सरनेम की उपाधि दे दी और इस तरह फिरोज शाह, फिरोज गांधी बन गए और इंदिरा नेहरू अब ‘इंदिरा गांधी’ बन गईं।

  • फिरोज और इंदिरा की शादी 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई।

     


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