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NEW DELHI. दुनियाभर के आइल मार्केट की खातिर सऊदी अरब का एक ऐलान आपकी जेब पर भी भारी पड़ सकता है। दरअसल, सऊदी ने कहा है कि वह जुलाई 2023 में तेल उत्पादन में रोजाना 10 लाख बैरल की कटौती करेगा। उसने ये ऐलान दुनिया में तेल की गिरती कीमतों में तेजी लाने के लिए किया है। सऊदी अरब के नेतृत्व वाले तेल उत्पादक देशों का संगठन OPEC+ ने अप्रैल में ही तेल उत्पादन में 16 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की थी जो मई से प्रभावी हुई है। ऐसे में यदि सऊदी अरब जुलाई में तेल का उत्पादन और कम करता है तो इसका असर भारत में भी पट्रोल-डीजल की कीमत पर पड़ेगा।
कच्चे तेल की कीमत 2.40 फीसदी उछली
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेल उत्पादन में कटौती का असर आइल मार्केट में दिखने लगा है। सोमवार, 5 जून को एशियाई बाजार में भी क्रूड ऑइल (कच्चे तेल) की कीमतों में करीब 2.4% का उछाल आया और यह 77 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। सऊदी अरब के नेतृत्व वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ ने तेल उत्पादन में भारी कटौती की घोषणा की है। सऊदी ने कहा है कि वह जुलाई में 10 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती करेगा।
इसलिए सऊदी अरब ने दिया 'लॉलीपॉप' का ऑफर
अप्रैल में ही ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में 16 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की थी जो मई से प्रभावी हुई। इसके तहत सऊदी अरब ने 5 लाख बैरल प्रतिदिन और ईराक ने 2 लाख 11 हजार बैरल की कटौती की। यह कदम तेल की कीमतों में तेजी लाने के लिए उठाया गया था, लेकिन तेल की कीमत में सिर्फ कुछ समय के लिए ही तेजी रही। ऑइल मार्केट में कोई स्थायी असर नहीं हुआ। इसी के मद्देनजर ओपेक प्लस ने एक बार फिर तेल की कीमतों को बढ़ाने का फैसला किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो 10 लाख बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन में कटौती को जुलाई के बाद के महीनों में भी जारी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कदम एक सऊदी लॉलीपॉप है जिसका उद्देश्य दुनियाभर के तेल बाजार को स्थिरता प्रदान करना है।
तेल उत्पादन में इतनी कटौती कर चुका है ओपेक प्लस
दरअसल, रविवार 4 जून को रूस के नेतृत्व में ओपेक प्लस की बैठक हुई जिसमें बड़े तेल उत्पादक देशों ने क्रूड ऑइल की गिरती कीमतों को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। रूसी उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने बताया कि ओपेक प्लस ने अक्टूबर 2022 से तेल उत्पादन में कटौती की शुरुआत की थी और तब से कुल उत्पादन कटौती 36.6 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गई है।
सऊदी अरब ने इसलिए किया कटौती का ऐलान
ओपेक प्लस की 2 दिवसीय बैठक शुरू होने से पहले ही यह उम्मीद की जा रही थी कि ओपेक प्लस तेल की कीमतों को बढ़ाने के लिए उत्पादन में कटौती करेगा, लेकिन ज्यादातर सदस्य देश तेल उत्पादन में कटौती करना नहीं चाहते थे। तेल उत्पादन में कटौती संबंधित देशों की आमदनी को प्रभावित करती है इसी कारण कई देश नहीं चाहते थे कि वो तेल उत्पादन में कटौती करें। सऊदी अरब द्वारा स्वेच्छा से 10 लाख बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन की कटौती करना ओपेक प्लस के लिए भी अप्रत्याशित फैसला था।
विजन 2030 के लिए आमदनी बढ़ाना चाहता है सऊदी अरब
सऊदी अरब के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बनी रहें ताकि उसे घाटा न हो। सऊदी सरकार के अधिकारियों के मुताबिक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'विजन 2030' पर अरबों डॉलर खर्च होने के कारण कच्चे तेल से होने वाली आय बढ़ाना बेहद जरूरी है। उल्लेखनीय है कि 'विजन 2030' क्राउन प्रिंस सलमान का बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसके जरिए वो सऊदी अरब की परंपरागत तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत पर ये होगा असर
अर्थव्यवस्था से जुड़े जानकारों की मानें तो सऊदी अरब का यह कदम आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ाएगा और मांग में अनिश्चितता पैदा करेगा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और इसकी अर्थव्यवस्था तेल पर आधारित है। यदि तेल उत्पादन कम होगा तो बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। तेल के दाम बढ़ने का सीधा असर दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं पर पड़ता है। जाहिर है तेल के दाम बढ़ने से देश में महंगाई बढ़ेगी।