SC ने कहा- CBI चीफ की तर्ज हो मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, पीएम, LS में विपक्ष का नेता और CJI कमेटी में शामिल हों

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Atul Tiwari
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SC ने कहा- CBI चीफ की तर्ज हो मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, पीएम, LS में विपक्ष का नेता और CJI कमेटी में शामिल हों

NEW DELHI. चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चीफ की तर्ज पर ही मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि एक कमेटी बने, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल हों। ये कमेटी एक नाम की सिफारिश राष्ट्रपति से करे। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हो। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कमेटी में लोकसभा में विपक्ष के नेता नहीं हैं तो फिर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को इसमें शामिल किया जाए।





सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसे सिस्टम बनाने की मांग की गई थी। ये फैसला जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने दिया। बेंच ने इस मामले में पिछले साल 24 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।





ये है मामला





सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी। इसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसा सिस्टम होना चाहिए। कॉलेजियम सिस्टम जजों की नियुक्ति के लिए होता है। कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के जज होते हैं, जो जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को नाम भेजते हैं। केंद्र की मुहर के बाद जजों की नियुक्ति होती है। याचिकाकर्ता अनूप बरांवल ने याचिका दायर कर चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में भी कॉलेजियम जैसे सिस्टम की मांग की थी। 23 अक्टूबर 2018 को इस मामले को 5 जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया गया था। 





अरुण गोयल की नियुक्ति पर हुआ था बवाल





पिछले साल 19 नवंबर को केंद्र सरकार ने पंजाब कैडर के आईएएस अफसर अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। गोयल की नियुक्त पर इसलिए विवाद हुआ, क्योंकि वो 31 दिसंबर 2022 को रिटायर होने वाले थे। 18 नवंबर को उन्हें वीआरएस दिया गया और अगले ही दिन चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि जिन्हें चुनाव आयुक्त बनाया गया, वो एक दिन पहले तक केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी थे। अचानक उन्हें वीआरएस दिया जाता है और एक ही दिन में चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया जाता है। 





इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाते हुए कहा था कि इस नियुक्ति में कोई गड़बड़झाला तो नहीं हुआ है। अदालत ने सवाल उठाया, हमने 18 नवंबर को सुनवाई शुरू की। उसी दिन फाइल आगे बढ़ गई, उसी दिन क्लीयरेंस भी मिल गया, उसी दिन आवेदन भी आ गया और उसी दिन नियुक्ति भी हो गई। फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी। सवाल उठा कि फाइल को बिजली की गति से क्लीयर क्यों किया गया? हालांकि, इन सारे सवालों पर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा था कि सबकुछ 1991 के कानून के तहत हुआ है और अभी फिलहाल ऐसा कोई ट्रिगर पॉइंट नहीं है, जहां अदालत को दखल देने की जरूरत पड़े।



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