जापान दौरे का दूसरा दिन, G-7 की बैठक में मोदी ब्रिटेन पीएम सुनक से करेंगे मुलाकात, पापुआ न्यू गिनी के होंगे रवाना

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Neha Thakur
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जापान दौरे का दूसरा दिन, G-7 की बैठक में मोदी ब्रिटेन पीएम सुनक से करेंगे मुलाकात, पापुआ न्यू गिनी के होंगे रवाना

NEW DELHI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान दौरे के दूसरे दिन हिरोशिमा में उस जगह पहुंचे हैं, जहां 78 साल पहले अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था। यहां उन्होंने हिरोशिमा पीस मेमोरियल में एटम बम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह पीस मेमोरियल के म्यूजियम भी जाएंगे। इसके बाद वह G-7 की बैठक में हिस्सा लेंगे। जहां वह ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दूसरे दिन वह पीएम इंडिया पैसिफिक आइलैंड्स को-ऑपरेशन सम्मेलन में भाग लेने के लिए पापुआ न्यू गिनी के लिए निकलेंगे। 




— ANI (@ANI) May 21, 2023



भारत में 2024 को होगी क्वाड की बैठक



G-7 की बैठक के दौरान पीएम मोदी 20 मई को क्वॉड के नेताओं से लेकर जेलेंस्की तक से मुलाकात की थी। क्वाड शिखर सम्मेलन के बारे में मोदी ने कहा- क्वाड ग्रुप इंडो पैसिफिक में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। ये विश्व व्यापार, इनोवेशन और विकास का इंजन है। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 में क्वाड की बैठक का आयोजन भारत में होने वाला है। जापान के हिरोशिमा में पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने युद्ध को लेकर कहा था कि ये हमारे लिए मानवीय मुद्दा है जिसके समाधान की तरफ भारत युक्रेन के लिए जरूर कुछ करेगा। वहीं, जेलेंस्की ने पीएम मोदी को यूक्रेन आने का न्योता दिया।



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यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को करें खत्म



हिरोशिमा में शनिवार को G7 देशों ने साझा बयान जारी करते हुए चीन का नाम लिए बिना सख्त तेवर दिखाए। सभी ने चीन को संदेश दिया था कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को खत्म करने के लिए अपने रणनीतिक साझेदार रूस पर दबाव बनाए। इसके अलावा चीन से कहा गया कि वो ताइवान की स्थिति का सम्मान करे। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जी 7 के मंच से दक्षिणी चीन सागर से जुड़े मामले, मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों में दखल देने के आरोपों समेत कई मामलों में बीजिंग को निशाना बनाया गया है। जी7 ने उसकी चिंताओं की परवाह नहीं की। इसके साथ ही ताइवान समेत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है।



मानवाधिकार के मामले में चीन उठाएगा आवाज 



जी-7 देशों के नेताओं ने पूर्व और दक्षिण चीन सागरों की स्थिति के बारे में गंभीर चिंता भी जताई, जहां बीजिंग अपनी सैन्य ताकत का विस्तार कर रहा है और ताइवान पर अपना नियंत्रण हासिल करने के लिए बल प्रयोग करने की धमकी दे रहा है। संगठन ने ताइवान पर चीन के दावे के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया। आपको बता दें कि 1949 में चीनी मुख्य भूमि पर कम्युनिस्टों के सत्ता में आने के बाद से ताइवान को लेकर विवाद सुलझ नहीं पाया है। जी 7 चीन में मानवाधिकारों के बारे में आवाज उठाने के लिए भी एकजुट हुआ, जिसमें तिब्बत, हांगकांग और झिंजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं, जहां जबरन श्रम का लगातार मुद्दा बना रहता है।


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