मोदी की पीठ पर शरद पवार का हाथ, I.N.D.I.A की प्रेस कॉन्फ्रेंस से ''गायब'', क्या विपक्षी एकता को झटका देने वाले हैं शरद पवार?

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Chandresh Sharma
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मोदी की पीठ पर शरद पवार का हाथ, I.N.D.I.A की प्रेस कॉन्फ्रेंस से ''गायब'', क्या विपक्षी एकता को झटका देने वाले हैं शरद पवार?

New Delhi.  एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार विपक्षी गठबंधन 2 अगस्त को हुई ‘I.N.D.I.A’ नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद रहने से देश की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। हाल ही में शरद पवार ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था। इस दौरान शरद पवार और मोदी गर्मजोशी के साथ मिले। उनकी मित्रता अलग ही अंदाज में सामने आई। आपस में बातचीत के दौरार शरद का हाथ बार-बार मोदी के पीठ पर जाता रहा, वहीं मोदी भी उनका हाथ पकड़कर कुछ कहते नजर आए। इस कार्यक्रम में शरद के भतीजे अजीत पवार भी शामिल थे। इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में सुगबुगाहट होने लगी है कि क्या शरद पवार एनडीए में शामिल होने जा रहे हैं?



विपक्षी दलों ने मिलकर क्यों बनाया I.N.D.I.A. गठबंधन



साल 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर आईएनडीआईए गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सपा, डीएमके और टीएमसी जैसी कई प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। आईएनडीआईए के नेता तमाम मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहे हैं। मणिपुर हिंसा को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद I.N.D.I.A नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें शरद पवार नहीं पहुंचे। 




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  • प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ढूंढते रहे खरगे... लेकिन पवार नजर नहीं आए




    राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद खरगे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएनडीआईए के कई नेता मौजूद थे, लेकिन शरद पवार नदारद थे। कांग्रेस अध्यक्ष अगल-बगल झाकने लगे, उन्हें लगा कि शरद पवार आते ही होंगे, लेकिन शरद पवार पीसी में नहीं आए। हालांकि, राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान वो प्रतिनिधिमंडल के साथ थे। उनके चले जाने की कोई वजह अब तक सामने नहीं आ सकी है। 



    मोदी संग मंच यूं ही साझा नहीं कर रहे शरद पवार, बना रखा है तगड़ा प्लान!




    महाराष्ट्र की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले शरद पवार की भले आज उनके ही सहयोगी दल (कांग्रेस और शिव सेना के उद्धव गुट) के नेता इस बात के लिए आलोचना कर रहे हों कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच क्यों साझा किया, लेकिन इसके पीछे भी मराठा छत्रप की सियासी चाल नजर आती है। दरअसल, अपने सियासी दुश्मनों के साथ भी दोस्ती रखने वाले शरद पवार हर मौके को भुनाना जानते हैं। यही वजह है कि वह अपनी ही पार्टी के दो फाड़ होने के महीने भर के अंदर ही दो बड़े सियासी शत्रुओं के साथ मंच साझा करने लगे हैं। 



    क्या है शरद पवार का दांव




    शरद पवार ने कार्यक्रम में पीएम मोदी को सम्मानित कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। मसलन, वह आम जनमानस को यह संदेश देना चाहते हैं उनका दिल बहुत बड़ा है। वह बहुत उदार हैं और दूसरे कि वह पीएम मोदी के बरक्स महाराष्ट्र की सियासत के बरगद हैं। वह इतने बड़े नेता है कि प्रधानमंत्री मोदी जिनकी विश्व में लोकप्रियता चर्चा में है, वह भी उनके हाथों सम्मान पाकर गदगद हो गए हैं। 



    मौके का सियासी फायदा उठाने की कोशिश 




    दूसरी तरफ सियासी जादूगर नरेंद्र मोदी भी राज्य में बढ़ती अपनी पैठ को जगजाहिर करने और इस मौके का सियासी फायदा उठाने की कोशिश करेंगे कि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की तरह उन्हें भी इस सम्मान के लिए काबिल समझा गया। वह इसी बहाने राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिशों को नई धार देंगे।



    अजित पवार को सख्त संदेश




    मंच पर बैठे अपने भतीजे अजित पवार को भी सीनियर पवार यह संदेश देने में सफल रहे कि उनके सामने उनकी बिसात अभी बहुत छोटी है क्योंकि जिस नेता की शरण में वह पहुंचे हैं, वह उनसे सम्मान पाकर आह्लादित हो रहे हैं। शरद पवार भतीजे के सामने आगामी चुनावों में लंबी लकीर भी खींचने की कोशिश करेंगे कि अभी भी महाराष्ट्र में एनसीपी का मतलब शरद पवार ही है। वह इस बात को भी साबित करने की कोशिश करेंगे कि 83 साल में भी वह महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र बिन्दु क्यों हैं और लोग उन्हें भीष्म पितामह क्यों कहते हैं।



    महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों को संदेश 




    बीजेपी और बीजेपी के साथ गए अपने भतीजे को सख्त संदेश देने के साथ ही शरद पवार महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों को भी यह संदेश देने की कोशिश में हैं कि उनके लिए सभी दरवाजे खुले हैं और वह अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। 



    मनोवैज्ञानिक खेल के उस्ताद हैं शरद पवार




    टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले दृश्यों और अखबारों और सोशल मीडिया पर जारी होने वाली उस कार्यक्रम की तस्वीरों के सहारे शरद पवार महाराष्ट्र में जनमानस के बीच मनोवैज्ञानिक स्तर पर बढ़त बनाने की पहली जुगत में दिखते हैं, और उस कोशिश में वह साकार होते नजर आ रहे हैं। वह ऐसे मनोवैज्ञानिक खेल के उस्ताद रहे हैं।


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