NEW DELHI/BHOPAL. दिग्गज नेता शरद यादव (75) का कल यानी 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम स्थित बाबई के आखमऊ गांव में होगा। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित आवास में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। शरद को श्रद्धांजलि देने कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि मैंने शरद यादव से राजनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा। उन्होंने कभी अपना सम्मान नहीं खोया, जबकि राजनीति में सम्मान खोना बहुत आसान होता है।
Delhi | Congress MP Rahul Gandhi pays tribute to former Union minister Sharad Yadav, who passed away last night pic.twitter.com/9SbWYoKVGF
— ANI (@ANI) January 13, 2023
मोदी ने ट्वीट में कहा- शरद यादव के निधन से दुखी हूं। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. राममनोहर लोहिया के आदर्शों से बहुत प्रेरित थे। मैं हमेशा उनके साथ अपनी बातचीत को संजोकर रखूंगा। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शरद यादव के साथ मेरा बहुत गहरा रिश्ता था। उनके निधन की खबर से स्तब्ध और दुखी हूं। वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे। उनका निधन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। शरद यादव के दामाद राज कमल राव ने बताया कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, हम उन्हें अस्पताल ले गए। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्हें किडनी की समस्या थी और डायलिसिस पर थे। उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा। शरद की बेटी सुभाषिनी ने ट्वीट कर पिता के निधन की जानकारी दी थी।
राजनीति में सक्रिय हैं सुभाषिनी, फिलहाल कांग्रेस में हैं
शरद यादव की दो बच्चे हैं- बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु। सुभाषिनी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हैं। हाल ही में वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी खासी एक्टिव देखी गईं। सबसे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान में यात्रा जॉइन की। उसके बाद हरियाणा और पंजाब में भी शामिल हुईं। सुभाषिनी ने पिता शरद यादव से राजनीति का ककहरा सीखा और वे उनके विचारों को आगे बढ़ाने की बात करती हैं।
शरद ने मई 2022 में खाली किया था सरकारी आवास
शरद यादव ने 31 मई 2022 को दिल्ली में 7, तुगलक रोड वाला सरकारी आवास खाली किया, तब सुभाषिनी ने ही ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। शरद इस बंगले में करीब 22 साल रहे। इससे पहले उन्होंने लुटियंस जोन में भी काफी वक्त बिताया। शरद ने अपना सरकारी आवास छोड़ते वक्त कहा था- इस घर से कई लड़ाइयां लड़ी गईं। यहां कई सारी यादें हैं। तब सुभाषिनी यादव ने ट्वीट में कहा था- तुगलक रोड पर 23 साल की सफल यात्रा को समाप्त करते हुए 48 साल के शुद्ध, समर्पित और निस्वार्थ योगदान समाज के उत्थान के लिए रहा। अब नई शुरुआत की प्रतीक्षा में।
2020 में कांग्रेस में शामिल हुईं सुभाषिनी
सुभाषिनी 2020 विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। उन्होंने बिहारीगंज सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। चुनावी कैंपेनिंग में राहुल गांधी के वोट मांगने के बाद सुभाषिनी ने एक इमोशनल पोस्ट लिखा था। इसमें उन्होंने बताया था कि कैसे राहुल गांधी ने बीमार पिता के नहीं पहुंच पाने की स्थिति में उनको बहन बताया और हौसलाअफजाई की। सुभाषिनी की शादी हरियाणा में एक राजनीतिक परिवार में हुई है। वे प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की काफी करीबी मानी जाती हैं।
शरद का मधेपुरा से था खास लगाव
शरद यादव का बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से खासा लगाव रहा है। बिहार के मधेपुरा से 4 बार, मध्य प्रदेश के जबलपुर से 2 बार और उत्तर प्रदेश के बदायूं से 1 बार सांसद चुने गए। अगस्त 2017 में नीतीश कुमार से अनबन के बाद जेडीयू से बाहर आए शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का गठन किया था। वे 2019 के चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा भी रहे और मधेपुरा से चुनाव लड़े, लेकिन, हार गए थे।
बताते हैं कि शरद चाहते थे कि इस बार मधेपुरा से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े। हालांकि, तब पारिवारिक सदस्य की राजनीति में एंट्री नहीं हुई थी। एक साल बाद 2020 में बेटी सुभाषिनी कांग्रेस में शामिल हुईं तो उन्होंने मधेपुरा की बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा।